छत्तीसगढ़ की शासकीय उचित मूल्य दुकानों में लगाई गई ई-पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीनों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने रिजेक्ट कर दिया है। यूआईडीएआई ने इन्हें सुरक्षा कारणों से अनुचित माना है। यही वजह है कि प्रदेश की सभी 13905 दुकानों में अपडेट मशीनें लगाई जाएंगी। नई मशीन के संबंध में यह दावा किया जा रहा है कि यह सुरक्षित तो होगी ही, स्पीड भी ज्यादा रहेगी। बारिश में सर्वर डाउन जैसी समस्या नहीं आएगी। पिछले 8 साल से राशन दुकानों की मशीनों को दो से तीन बार बदला जा चुका है, ताकि राशन की गड़बड़ी रोकी जा सके। मशीनें देने की शुरुआत लोगों के आधार नंबर को राशन कार्ड से लिंक करने के बाद हुई। पहले टेबलेट, फिर मारफो, ई-पीओएस और वेइंग मशीन दी गई। पहले फोटो खिंचवाने पर राशन मिल जाता था। इसके बाद बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट को अनिवार्य किया गया। यानी परिवार के किसी एक सदस्य के अंगूठा लगाने पर राशन दिया जाने लगा। इस मशीन में भी फिंगरप्रिंट को लेकर शिकायत मिलने लगी। यही वजह है कि यूआईडीएआई ने इसे रिजेक्ट कर अपडेट वर्जन की मशीन लगाने के निर्देश दिए। राज्य शासन ने मेसर्स लिंक वेल टेलीसिस्टम कंपनी को अपडेट वर्जन की ​मशीन लगाने कहा है। चूंकि पूर्व में शर्त में ही यह बात लिखी थी कि मशीन में दिक्कत होने पर कंपनी ही इसे बदलकर देगी, उसी आधार पर कंपनी को नए निर्देश का पालन करना है। यूआईडीएआई की मंजूरी, इस महीने में बदलेंगी मशीनें
प्रदेश में 1888 शहरी तो 12017 ग्रामीण शासकीय उचित मूल्य दुकानें हैं। अधिकारियों के मुताबिक इसी माह तक इन सभी दुकानों में मशीनें बदल दी जाएंगी। कंपनी के लोग पुरानी मशीन को वापस लेकर नई लगाएंगे। वे इसे इंस्टॉल भी करेंगे ताकि दुकानदारों को परेशानी न हो। नई मशीन लगाने का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक अभी मंत्रा इनबिल्ट एलओ बायोमीट्रिक फिंगरप्रिंट स्कैनर दुकानों में लगा है। अब दुकानों में इस मशीन की जगह एलआई स्कैनर युक्त वीए 2 वन ई-पीओएस डिवाइस लगाया जाएगा। इस डिवाइस को यूआईडीएआई ने अप्रूव किया है। कंपनी को 2021 में मशीन लगाने का ठेका मिला था। 2016 में टैब, 2021 में ई-पीओएस, लेकिन राशन की गड़बड़ी जारी 2016 के पहले तक राशन दुकान विक्रेता मैनुअल तरीके से ही खाद्यान्न बांटते थे। यानी रजिस्टर में एंट्री कर राशन दे देते थे। इसमें गड़बड़ी की शिकायतों के बाद टेबलेट दिया गया, जिसमें एंट्री अनिवार्य कर दी गई। इसमें हितग्राही का फोटो खींचा जाता था। फिर 2017 में इसमें मारफो डिवाइस जोड़ा ​गया, जो कि फिंगरप्रिंट बायोमीट्रिक डिवाइस था। 2021 में ई-पीओएस मशीनें दी गई और फिर वेइंग मशीनें देकर इसे ई-पीओएस से जोड़ा गया। इन सब के बावजूद राशन की हेराफेरी पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी। एक्सपर्ट का कहना है कि नई मशीन बेहतर है। इसकी प्रोसेसिंग कैपिसिटी ज्यादा है और यह बारिश के दिनों में भी बेहतर रिजल्ट देगी। अभी की मशीन में बारिश में सर्वर डाउन की शिकायतें मिलती है। जल्द ही रायपुर, बिलासपुर और अन्य जिलों में मशीनें बदली जाएंगी।
-अनुराग सिंह भदौरिया, फूड कंट्रोलर

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