नरवा, गरवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम के अंतर्गत नरवा उपचार की कोशिशें अब रंग ला रही हैं। राजनांदगांव जिले का ठाकुरटोला-गर्रा नरवा जिसे ‘पटपर’ नरवा के नाम से भी जाना जाता है, अब जनवरी के महीने में भी नजर आ रहा है। ग्राम पंचायत और किसानों की मेहनत तथा मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से 48 लाख 31 हजार रूपए की लागत से हो रहे नरवा उपचार के कार्यों ने इस नाले को पुनर्जीवित कर दिया है। नरवा उपचार के बाद वहां ठहरे पानी से पटपर गांव के 20 किसान 50 एकड़ में रबी की फसल ले रहे हैं। पटपर नरवा के संरक्षण और संवर्धन के लिए वर्ष-2019 में स्वीकृत 27 कार्यों में से 20 अब पूरे हो चुके हैं। इस दौरान गर्रा पंचायत के 521 मनरेगा श्रमिकों को 31 हजार 231 मानव दिवस का सीधा रोजगार भी मिला है। नरवा उपचार के लिए पटपर गांव में नया तालाब भी निर्माणाधीन है।
राजनांदगांव जिले के छुईखदान विकासखण्ड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर गर्रा ग्राम पंचायत है। इसके आश्रित गांव पटपर में कोहकाझोरी बांध के नजदीक की पहाड़ी से पटपर नरवा का उदगम होता है। गर्रा, पटपर और ग्राम पंचायत के एक अन्य आश्रित ग्राम जुझारा से होकर यह लगभग 7.77 किलोमीटर की यात्रा कर एक दूसरे नरवा मंडीपखोल में जाकर मिल जाता है। पटपर नरवा का कुल जलग्रहण क्षेत्र (कैचमेन्ट एरिया) करीब 1007 हेक्टेयर है। वन क्षेत्र में इसकी लम्बाई 3.62 किलोमीटर और राजस्व क्षेत्र में 4.15 किलोमीटर है, जबकि जलग्रहण क्षेत्र क्रमशः 394.89 हेक्टेयर और 611.61 हेक्टेयर है।
पटपर नरवा में पानी को रोकने के लिए लूज बोल्डर चेकडेम की छह और गेबियन की दो संरचनाएं बनाई गई हैं। चार लाख 68 हजार रूपए की लागत के इन संरचनाओं के निर्माण से अब पहाड़ी से आने वाले पानी का बहाव धीमा हो गया है। इससे भू-जल स्तर में सुधार देखने को मिला है। नरवा में पानी रूकने से आसपास की जमीन में नमी की मात्रा बनी रहने लगी है, जिससे इसके दोनों ओर के 20 किसान लाभान्वित हुए हैं। नरवा उपचार के लिए जुझारा गांव में भी छह संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित है। इसके बनने से वहां के 12 किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे और उनके कुल 30 एकड़ खेत तक पानी पहुंचेगा।
पटपर नरवा के कैचमेन्ट एरिया में जल-संचय व संवर्धन के लिए पटपर में श्मशान घाट के पास एक नए तालाब के निर्माण के साथ ही गिट्टी खदान के पास स्थित तालाब का गहरीकरण किया गया है। पटपर में नए तालाब की खुदाई भी प्रगतिरत है। नरवा से लगे जमीन वाले किसानों सर्वश्री करण, हरीराम, लोकेश, रोशन, परदेशी, सुन्दरलाल, सुखदेव और केदार के खेतों में भूमि सुधार और मेड़ बंधान का कार्य भी कराया गया है। इसके अंतर्गत खेतों के मेड़ की ऊंचाई को अपेक्षाकृत ज्यादा रखा गया है, ताकि नरवा में पानी के तेज बहाव से खेतों को नुकसान नहीं पहुंचे। नरवा उपचार के बाद इन किसानों के कुल 28 एकड़ खेत में धान की भरपूर पैदावार हुई है। अभी इन किसानों ने उन खेतों में चना बोया है।
नरवा पर बनाए गए विविध संरचनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों व किसानों को जल संग्रहण और सिंचाई सुविधा के रूप में मिल रहा है। किसान श्री हरीराम पटपर नरवा के पुनरूद्धार से हो रहे फायदे के बारे में बताते हैं कि वे पहले अपने तीन एकड़ जमीन पर एक बोर के सहारे केवल सोयाबीन और चना की ही खेती करते थे। पर इस बार भूमि सुधार के बाद बोर के साथ ही नरवा में रूके पानी का उपयोग कर उन्होंने साढ़े चार एकड़ में चना, धान और गेहूं की फसल ली है। इससे खेती से होने वाली उसकी कमाई बढ़ी है। वह क्षेत्र में नरवा उपचार के कार्यों से बेहद खुश है।