कुछ सालों पहले यह कल्पना करना मुश्किल था कि छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जैसे सुदूर आदिवासी बहुल जिले में तैयार ब्रांडेड कपड़े बैंगलौर, दिल्ली जैसेे बड़े शहरों में भेजे जाएंगे। धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र जिसे नक्सल हमलों की वजह से देश-दुनिया पहचानती थी, कभी अपनी पहचान बदल पाएगा, लेकिन हिंसा पर हौसले की जीत से अब यहां की तस्वीर बदलने लगी है। प्राकृतिक संसाधन और हुनर से भरपूर दंतेवाड़ा जिले का खुद के नाम का ‘दंतेवाड़ा नेक्स्ट‘ यानी डेनेक्स ब्रांड अब ग्लोबल पहचान बना चुका है।

राज्य सरकार की मदद से यहां इतनी बड़ी गारमेंट फैक्ट्री संचालित की जा रही है, जितनी बड़ी फैक्ट्री राजधानी रायपुर में भी नहीं। यहां से स्थानीय महिलाओं द्वारा तैयार उच्च गुणवत्ता के जैकेट, शर्ट, कुर्ता सहित विभिन्न प्रकार के रेडीमेड कपड़े अब दूर-दूर तक निर्यात होने लगे हैं। यह बदलते दंतेवाड़ा का ही आगाज़ है कि इस फैक्ट्री से 7 महीने में ही 7 करोड़ 65 लाख रूपये के एक लाख 27 हजार रेडीमेड गारमेंट की सप्लाई की जा चुकी है। इसके साथ ही वनोपजों का वैल्यू एडीशन कर उसे डेनेक्स ब्रांड से बेचने की शुरूआत की गयी है। इसी कड़ी में दंतेवाड़ा का सफेद आमचूर डेनेक्स ब्रांड से तैयार किया गया है। पहले जहां व्यापारी दंतेवाड़ा का आमचूर सस्ते में खरीद कर ले जाते थे, वह वेल्यूएडिशन के बाद अच्छी कीमत में बिकने लगा है।

 

दंतेवाड़ा को गारमेंट हब बनाने की शुरूआत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गीदम विकासखण्ड के ग्राम हारम में डेनेक्स नवा दंतेवाड़ा गारमेंट फैक्टरी के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैय्या कराने के इरादे से हुई। इसका उद्देश्य सिर्फ इंन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना न होकर लोगों तक आजीविका का साधन पहुंचाकर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। इसके लिए 1.92 करोड़ रू. की टेक्सटाईल यूनिट 5 एकड़ की भूमि पर लगाई गई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के करकमलों से 31 जनवरी 2021 को फैक्ट्री के शुभारंभ के साथ ब्रांडेड गारमेंट व्यवसाय की शुरूआत हुई। स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण देकर गारमेंट फैक्ट्री में रोजगार दिया गया। उत्पादों के बिक्री के लिए ट्राईफेड, सीआरपीएफ, एनएमडीसी के साथ एमओयू (अनुबंध) किया गया है। इनके आउटलेट से डेनेक्स ब्रंाड के कपड़े बिकने लगे हैं,जिससे बिक्री के लिए अच्छा मार्केट मिला और डेनेक्स ब्राण्ड देश-विदेश पहुंचाने लगा है।

 

बिहान महिला समूहों द्वारा संचालित इस फैक्ट्री से करीब 400 स्थानीय परिवारों को रोजगार मिला है। इस भव्य फैक्ट्री में कार्यरत लोगों के लिए प्रशिक्षण रूम, किचन, डाइनिंग रूम, रेस्ट रूम, प्राथमिक उपचार केन्द्र, बच्चों के खेलने के लिए रूम, गार्डन, शौचालय तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा अनुरूप दंतेवाड़ा गारमेण्ट फैक्ट्री के कार्यों को बढ़ाते हुए 20 जून से एक करोड़ 8 लाख रूपए की लागत से निर्मित दंतेवाड़ा गारमेण्ट फैक्ट्री की यूनिट-2 बारसूर का शुभारंभ भी कर दिया गया है। यहां अभी 150 परिवारों को रोजगार दिया गया है, जिसे 300 परिवारों तक बढ़ाने का लक्ष्य है। सरकार की योजना भविष्य में दंतेवाड़ा और बचेली में भी यूनिट स्थापित करने की है जिससे अधिक से अधिक परिवारों को रोजगार दिया जा सके। इसके साथ ही महिलाओं को वित्तीय बचत का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है जिससे महिलाएं सही जगह पैसे इन्वेस्ट कर अपनी आर्थिक स्थिति को और बेहतर बना सकें।

दंतेवाड़ा जिले में रहने वाली श्रीमती अंजू यादव को ट्रेनिंग के बाद जब काम मिला तब वे बहुत खुश नजर आईं और उन्होंने बताया कि वह पहले घर पर ही सिलाई का कार्य करती थी पर महीने में मात्र 2 हजार ही बड़ी मुश्किल से कमा पाती थी पर अब फैक्ट्री खुलने से उन्हें हर महिने 7 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। गारमेण्ट फैक्ट्री में वह नई डिजाईन के सूट, प्लाजो, शर्ट, पेंट, जैकेट सहित विभिन्न प्रकार वस्त्रों को तैयार कर रही हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि वे गारमेंट फैक्ट्री में नये-नये फैशन के डिजाईन सीख कर बहुत खुश हैं। पहले खेतों मे मजदूरी या अन्य कामों से ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती थी। डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री में वे प्रतिमाह 8 से 9 हजार रूपये कमाने लगी हैं, जिससे अपने घर में भी आर्थिक मदद कर पा रही हैैंं।

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब कई जगहों पर आजीविका का संकट उत्पन्न हुआ वहीं डेनेक्स स्थानीय लोगों के लिए वरदान साबित हुआ। रोजगार के लिए यहां की महिलाओं को भटकना नहीं पड़ा, जिससे महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुई बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोत्तरी हुई है। गारमेंट फैक्टरी की सफलता आने वाले समय में स्थानीय लोगों के जीवन में बदलाव के साथ विकास के लिए नींव का बड़ा पत्थर साबित होगी।

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