मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि खेती-किसानी को मजबूत बनाकर और हर हाथ को काम देकर गांव के पुराने गौरव को फिर से स्थापित करना राज्य सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना जैसे कदम उठाए गए हैं। श्री बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय से छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद के नवनियुक्त पदाधिकारियों के पदभार ग्रहण के वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शहीद महेन्द्र कर्मा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए नमन किया।
कार्यक्रम में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री निवास में तथा सहकारिता मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, छत्तीसगढ़ कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत श्री रामसुंदर दास, छत्तीसगढ़ बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री अग्नि चंद्राकर और छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा, बीज निगम के कार्यालय में उपस्थित थे। कार्यक्रम में कृषक कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष श्री महेंद्र चंद्राकर, सदस्य सर्वश्री बसंत टाटी, नागेंद्र नेगी, संजय गुप्ता, भगवान पटेल, जानकीराम सेठिया, नंद कुमार पटेल, डेहराराम साहू, खम्मन पटेल, जगदीश दीपक, शरद यादव, श्रवण चंद्राकर, चुन्नी लाल वर्मा और श्रीमती शशि गौर ने पदभार ग्रहण किया।
मुख्यमंत्री ने परिषद के नवनियुक्त सभी पदाधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी हर किसान तक पहंुचाने, गौठानों को और अधिक सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने कहा कि परिषद के पदाधिकारी हरेली का त्यौहार गौठानों में जाकर मनाए। इसके अलावा जब भी वे गांव के दौरे पर जाएं तो गौठानों में बैठक कर वहां की गतिविधियों की समीक्षा भी करें तथा इस संबंध में सुझाव से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि गौठानों में अलग-अलग गतिविधियों से जोड़े और यह भी देखे गौठानों में नेपियर घास लगाई गई है कि नहीं और मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था है कि नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजो से पहले हमारे गांव उत्पादन के केन्द्र होते थे। शहर व्यापारिक केन्द्र का काम करते थे। अंग्रेजो के समय शहरों में बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए, इससे उत्पादन और वाणिज्य के केन्द्र गांव के स्थान पर शहर बन गए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यस्था मजबूत बनाने हर संभव प्रयास कर रही है। सुराजी गांव योजना में रूरल इंड्रस्ट्रीयल पार्क के जरिए ग्रामीणों और युवाओं को उत्पादक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। खेती किसानी को मजबूत बनाने के लिए किसानों की ऋण माफी और उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने की पहल की गई है। वनवासियों को तेेंदूपत्ता संग्रहण के लिए प्रति मानक बोरा 4000 रूपए मिल रही है। इससे गांव के लोगांे की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य शासन की योजनाओं का लाभ दूरस्थ अंचलों के किसानों, वनोपज संग्राहकों को भी मिल रहा है। उनकी जेब में पैसा जा रहा है और इसका असर व्यापार में भी दिख रहा है। इसका प्रमाण है कि बीजापुर जिले में वर्ष 2018 में जहां एक ट्रेक्टर बिका था, वही ऋण माफी और 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी के बाद बीजापुर जिले में वर्ष 2019-20 में 73 ट्रेक्टर और 1235 मोटर सायकल और एक कमर्शियल ट्रेक्टर की बिक्री हुई । अगले साल इस जिले में 60 ट्रेक्टर और 1998 मोटर सायकल तथा तीसरे साल में 133 ट्रेक्टर, 968 मोटर सायकल की बिक्री अब तक हो चुकी है। इनमें 11 कमर्शियल ट्रेक्टर की बिक्री भी शामिल हैं।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि कृषि का विकास छत्तीसगढ़ के विकास का मूल आधार है। राज्य सरकार की योजनाओं से किसानों की जेब में पैसा पहंुचा और बाजार गुलजार हुए। लॉकडाउन के समय देश की अर्थव्यवस्था में जहां मंदी आई, वहीं छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी सहित अन्य गतिविधियां चालू रही। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कृषि और किसानों के साथ-साथ गरीबों की आर्थिक उन्नति के लिए काम कर रही है। इस दिशा में राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना लागू करने की क्रांतिकारी पहल भी की गई है। बजट में इस योजना के लिए प्रावधान भी किए गए हैं।