स्वास्थ्य, पुलिस एवं स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

प्रदेश की 39 प्रतिशत आबादी करती है तम्बाकू व इसके उत्पादों का उपयोग, 13-15 वर्ष आयु समहू के करीब 8 प्रतिशत बच्चे तम्बाकू के नशे की चपेट में

प्रदेश में तम्बाकू नियंत्रण की नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आज राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रायपुर के सिविल लाइन स्थित नवीन विश्राम भवन में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में लगातार कोशिशें की जा रही हैं। तम्बाकू नियंत्रण से संबंधित नीतियों व कार्यक्रमों को भविष्य में और अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने तथा कोटपा एक्ट, 2003 के प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित करने स्वास्थ्य, पुलिस एवं स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था।

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने कार्यशाला में बताया कि जिला स्तर पर तम्बाकू नियंत्रण के लिए समय-समय पर चालानी कार्यवाही की जाती है। लोगों को तम्बाकू की लत छुड़ाने के लिए सभी जिला चिकित्सालयों में तम्बाकू नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं। बावजूद इसके प्रदेश में 13 वर्ष से 15 वर्ष आयु समहू के लगभग आठ प्रतिशत बच्चे तम्बाकू के नशे की चपेट में आ चुके हैं। राज्य की कुल 39.1 प्रतिशत आबादी तम्बाकू का उपयोग करती है। इस पर प्रभावी तरीके से लगाम लगाने के लिए राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थाओं को तम्बाकू मुक्त किया जाना है।

डॉ. जैन ने बताया कि भारत सरकार द्वारा तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों को प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्यतः लागू किया जाना है। राज्य में अंतर्विभागीय समन्वय के माध्यम से अन्य तम्बाकू नियंत्रण नीतियों को भी लागू किया जाना है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरीया और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नेहा सिंह की टीम द्वारा तम्बाकू के उपयोग से गर्भवती महिलाओं में होने वाले हानिकारक प्रभावों के सम्बन्ध में शोध कार्य किया गया है। उनके शोध से ज्ञात हुआ है कि 34.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं जो तम्बाकू का उपयोग करती हैं, उनमें जटिलताएं ज्यादा देखी गई हैं। साथ ही 1.6 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में गर्भपात जैसी समस्या भी देखी गई है।

राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के प्रतिनिधि डॉ. प्रबोध नंदा ने कार्यशाला में तम्बाकू के उपयोग पर नियंत्रण के लिए मितानिनों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न जिलो में मितानिनों द्वारा इस दिशा में किए जा प्रयासों की जानकारी दी। राज्य में ‘द यूनियन’ एवं पहल फाउंडेशन के माध्यम से टोबेको मॉनिटर एप का संचालन प्रारम्भ किया जाएगा। कार्यशाला में पहल फाउंडेशन के श्री आशीष सिंह द्वारा टोबेको मॉनिटर एप की विस्तृत जानकारी दी गई।

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