छत्तीसगढ़ को देश का मिलेट हब बनाने के लिए शुरु किए गए मिलेट मिशन के तहत कोदो, कुटकी एवं रागी की फसलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ ही राजीव गांधी किसान न्याय योजना में किसानों को इन फसलों को इनपुट सब्सिडी देने का फैसला भी लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर कोदो, कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को इनकी बिक्री में किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए राज्य की सभी प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। प्रदेश में अब तक सवा करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की 4110 क्विंटल कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की गई है।
कुपोषण दूर करने दिया जा रहा बढ़ावा
वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए के पीछे राज्य सरकार की मंशा है कि इन फसलों का अधिक से अधिक उपयोग बच्चों के कुपोषण दूर करने में किया जाए। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले मिलेट का उपयोग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी के पोषण आहार कार्यक्रम में करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सभी प्राथमिक वन समितियों में इन फसलों की खरीदी की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों को इनकी खेती के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन से आने वाले समय में इन फसलों का उत्पादन और बढ़ेगा।
किसानों को मिलेगी इन्पुट सब्सिडी
राज्य सरकार ने उपज की सही कीमत दिलाने के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया है, साथ ही मिलेट फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में कोदो, कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 9 हजार रुपए प्रति एकड़ और धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी की फसल लेने वाले किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ इनपुट सबसिडी दी जाएगी। समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले मिलेट का उपयोग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी के पोषण आहार कार्यक्रम में किया जाएगा।
राज्य लघु वनोपज सहकारी विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोदो और कुटकी की खरीदी 30 रूपए प्रति किलो और रागी की खरीदी 33.77 रूपए प्रति किलो की दर से की जा रही है। अब तक संग्राहकों से 2743 क्विंटल कोदो, 252 क्विंटल कुटकी काला, 656 क्विंटल कुटकी भूरा और 458 क्विंटल रागी की खरीदी की जा चुकी है। संग्राहकों को अब तक 17 लाख 17 हजार 594 रूपए का भुगतान किया जा चुका है। शेष राशि का भुगतान संग्राहकों को शीघ्र किया जाएगा। समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी और रागी फसलों की खरीदी 31 जनवरी 2022 तक की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि जगदलपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, नारायणपुर, पश्चिम भानुप्रतापपुर, बलरामपुर, मरवाही, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 252.02 क्विंटल कुटकी (काली), वनमण्डल केशकाल, जशपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, नारायणपुर, बलरामपुर, मनेन्द्रगढ़, राजनांदगांव, सरगुजा और सूरजपुर वनमण्डल में 665.69 क्विंटल कुटकी (भूरा), कटघोरा, कवर्धा, कांकेर, केशकाल, कोरिया, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, पश्चिम भानुप्रतापुर, बलरामपुर, बिलासपुर, मनेन्द्रगढ़, मरवाही, राजनांदगांव, रायगढ़, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 2743.06 क्विंटल कोदो, कांकेर, केशकाल, जगदलपुर, जशपुर, दंतेवाड़ा, दक्षिण कोण्डागांव, धमतरी, बलरामपुर, सुकमा और सूरजपुर वनमण्डल में 458.58 क्विंटल रागी की खरीदी की गई है।
वेल्यू एडिशन से मिलेगा रोजगार
पोषण और स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद विकल्प होने के कारण वैश्विक बाजार में मिलेट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा मिलेट्स उत्पादन वाले गांवों में लघु प्रसंस्करण इकाईयां एवं पैकेजिंग इकाईयां स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वेल्युएडिशन के माध्यम से उत्पादन करने वाले किसानों को और भी अधिक फायदा मिल सके। गढ़कलेवा के मेनू में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को भी शामिल किया गया है। मिलेट संग्रहण, प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा इन्हें तकनीकी और प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा।
हैदराबाद के मिलेट इंस्टीट्यूट से एम.ओ.यू.
प्रमुख सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन श्री मनोज पिंगुआ ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ इनके प्रसंस्करण और मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के 85 विकास खण्डों में मिलेट्स का उत्पादन होता है। मिलेट मिशन में पांच वर्षों में राज्य सरकार द्वारा 170.30 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने, उन्नत तकनीक, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च क्वालिटी बीज और सीड बैंक की मदद के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मिलेट रिसर्च हैदराबाद और राज्य के 14 मिलेट उत्पादक जिलों के बीच एमओयू साइन हुआ है, इन जिलों में कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, राजनांदगांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेंड्रा, मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर जिले शामिल हैं। कांकेर और दुगुकोंदल में दो प्रोसेसिंग इकाईयोें की स्थापना हो चुकी है। बस्तर, सरगुजा, कवर्धा और राजनांदगांव में लघु धान्य फसलों के सीड बैंक स्थापित किए जाएंगे।