मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज बस्तर के जिला मुख्यालय जगदलपुर में गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण के पश्चात प्रदेश की जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि हमने छत्तीसगढ़ में न्याय, नागरिक अधिकारों और जन सशक्तीकरण का काम मिशन मोड में किया है, यही वजह है कि आज प्रदेश में चारों ओर न्याय, विश्वास, विकास और उसमें जन-जन की भागीदारी देखने को मिल रही है। हमने हर समाज, हर वर्ग के लोगों के सपने को पूरा करने की रणनीति अपनाई है। लोगों की जरूरत के मुताबिक योजनाएं बनाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सुराजी गांव योजना गांवों में नई अर्थव्यवस्था की बुनियाद बनाने में सफल हो रही है। इसके तहत नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के विकास काम बड़े पैमाने पर हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमारी सरकार की गोधन न्याय योजना ने ग्रामीण तथा शहरी गौपालकों को आजीविका का नया जरिया उपलब्ध कराया है। इस योजना से अभी तक 122 करोड़ रूपए से अधिक का गोबर खरीदा जा चुका है। इससे वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन और उपयोग की एक नई क्रांति ने जन्म लिया है, जिससे देश में आसन्न रासायनिक खाद संकट को हल करने में मदद मिलेगी। हमारे गौठान अब रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित हो रहे हैं। गोबर से बिजली, प्राकृतिक पेंट तथा अन्य उत्पादों का निर्माण करने की पहल की गई है। उन्होंने कहा कि अब गोबर की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उपयोगिता के सभी पहलुओं पर व्यापक और सुसंगत ढंग से काम करने के लिए गोधन न्याय मिशन का गठन मील का पत्थर साबित होगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को आज देश-दुनिया में सराहा जा रहा है। यह योजना ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक      दृष्टिकोण के समन्वय से अनेक वैश्विक चिंताओं और चुनौतियों के समाधान के रूप में देखी और सराही जा रही है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में ग्रामीणों से 2 रूपए की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। इसकी शुरूआत 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व से हुई थी। 20 जुलाई 2020 से लेकर 15 जनवरी 2022 तक की स्थिति में 66.07 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है, जिसके एवज में गोबर बेचने वालों को 122.17 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। गौठान समितियों को अब तक 45.31 करोड़ रूपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों को 29.46 करोड़ रूपए की राशि लाभांश के रूप में दी जा चुकी है।

गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 10 लाख 38 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 4 लाख 36 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 50 करोड़ 57 लाख रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,463 महिला स्व सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 77,125 है। गौठानों से जुड़ने और गोधन न्याय योजना से महिला समूहों में स्वावलंबन के प्रति एक नया आत्मविश्वास जगा है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के मध्य एमओयू हो चुका है। राज्य के गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किये जाने का काम तेजी से किया जा रहा है, ताकि आयमूलक गतिविधियों को और बढ़ावा मिल सके। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर गौठानों में दाल मिल एवं तेल मिल की स्थापना की जा रही है। प्रथम चरण में 188 गौठानों में दाल मिल तथा 148 गौठानों में तेल मिल की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन की देख-रेख, उनके उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,591 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 7933 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं। जिसमें से 2201 गौठान आज की स्थिति में स्वावलंबी हो चुके हैं। गोधन न्याय योजना से लगभग 2 लाख ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 44.92 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से 93 हजार 977 भूमिहीन परिवार भी लाभान्वित हो रहे हैं।

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