मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय से खरोरा नगर पंचायत में शहीद योगेन्द्र शर्मा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने धरसींवा के समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला टेकारी का नामकरण शहीद योगेन्द्र शर्मा के नाम पर किए जाने की घोषणा की। उन्होंने इस मौके पर कहा कि शहीद योगेन्द्र शर्मा के प्रेरणादायी व्यक्तित्व और सेवा-भावना को कभी भूला नहीं जा सकता। उनकी शहादत को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके कार्याें को सदैव आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शहीद योगेन्द्र शर्मा की स्मृति में ‘‘नमन अंचल के शहीदों को‘‘ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने जयंती कार्यक्रम की शुरूआत शहीद योगेन्द्र शर्मा को श्रद्धासुमन अर्पित कर की। खरोरा नगर पंचायत में जयंती कार्यक्रम के अवसर पर आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर और रक्त दान शिविर के लिए मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं दी। इस मौके पर मुख्यमंत्री निवास पर शहीद योगेन्द्र शर्मा की धर्मपत्नी एवं विधायक धरसींवा श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, सुपुत्र श्री हर्षित शर्मा सहित श्री विपिन त्रिपाठी, श्री भोला तिवारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल खरोरा नगर पंचायत में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन, श्री प्रमोद शर्मा, श्री मण्डल दास गिलहरे, श्री सुभाष मिश्र सहित नगर पंचायत खरोरा के पार्षद, एल्डरमेन सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि शहीद योगेन्द्र शर्मा का जन्म 12 अगस्त 1962 को धरसींवा विकासखंड की ग्राम-पंचायत टेकारी में हुआ था। बचपन से ही वे जिंदा-दिल और बुलंद हौसले के धनी थे। वे एक ऊर्जावान और संभवानाओं से भरपूर लोकप्रिय जनप्रतिनिधि थे। उन्होंने दुर्गा कॉलेज से छात्र-राजनीति की शुरुआत की। वे 1985-86 में विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित हुए। वे छात्र-जीवन से ही सतत् रूप से जनसेवा से जुड़े रहे। उन्होंने जनपद पंचायत और जिला पंचायत सदस्य के रूप में क्षेत्र की जनता की अमूल्य सेवा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने धरसींवा क्षेत्र में मजदूरों और उद्योगपतियों के बीच एक सेतु की तरह काम करते हुए दोनों का सदैव सहयोग किया। उन्होंने छात्रों को महाविद्यालय में प्रवेश दिलाने से लेकर पढ़ाई के दौरान आने वाली हर छोटी-बड़ी समस्याओं के निराकरण में हमेशा मददगार की भूमिका निभाई। उनके इसी समर्पण और सेवा से उनकी राजनीति की दिशा तय हुई। आगे चलकर वर्ष 1995 से 2000 तक वे निर्विरोध जनपद सदस्य के रूप सक्रिय रहे। सन् 2000 से 2005 तक उन्होंने जिला पंचायत सदस्य के रूप में सेवा की। उन्होंने इस चुनाव में रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी हमले में हमने अपने अनेक वरिष्ठ नेताओं और जुझारू कार्यकर्ताओं को खो दिया। इन्हीं में योगेंद्र शर्मा भी थे। उनके विचारों और अधूरे कामों को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनिता योगेंद्र शर्मा आगे बढ़ा रही हैं। विधायक के रूप में निर्वाचित होकर वे उसी सेवाभावना तथा समर्पण से कार्य करते हुए उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बना रही हैं। कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री गिरीश देवांगन ने भी सम्बोधित किया।