प्रदेश के दुर्गम इलाकों में सूरज की रोशनी अब लोगों की प्यास बुझाने का साधन बन रही है। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) विभाग द्वारा वनांचल के कई दूरस्थ गांवों में लगाए गए सोलर ड्यूल पंप लोगों को अब 24 घंटे साफ पानी उपलब्ध करा रहे हैं। क्रेडा द्वारा सुदूर वनांचल और नक्सल प्रभावित संवेदनशील दंतेवाड़ा जिले में लगभग 680 सोलर ड्यूल पंप लगाए गए हैं। कुआकोंडा विकासखंड के पुलपाड़ गांव के ग्रामीणों के जनजीवन में भी व्यापक बदलाव आया है। सूरज की रौशनी से चलने वाले ये पंप ज्यादातर सुदूर, पहुंचविहीन और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में लगाए गए है,जिसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। इससे अति नक्सल प्रभावित इलाकांे में जल संकट दूर हो गया है, और ग्रामीण लोगों तक साफ पानी की पहुंच रहा है।

इससे अंदरूनी उन इलाकों तक भी पानी की समस्या दूर हो गई है जहां बिजली नहीं पहंुची है। अब वनवासी झरिया का पानी पीने से भी दूर होने लगे हैं। लोगों तक सोलर ड्यूल पंप लगाने का उद्देश्य 24 घंटे स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करना है। नक्सल प्रभावित कई ऐसे पिछड़े और अंदरूनी गांव है जहां बिजली खंबे पहुंच नहीं पाए हैं। इन दुर्गम क्षेत्रों के लिए सोलर ऊर्जा से संचालित यूनिट किसी वरदान से कम नहीं है। है। कोरोना काल में क्रेडा विभाग के द्वारा गांवों में सोलर पंप स्थापित किए गए हैं। विभाग के लिए इन गांवों तक पहुंचकर सोलर ड्यूल प्लांट लगाना काफी चुनौती पूर्ण कार्य रहा है।

उल्लेखनीय है कि सोलर ड्यूल पंप एक ऐसी तकनीक है, जिसमें सोलर पंप और हैंड पंप दोनों उपयोग होता है। सोलर ड्यूल पंप दिन के दौरान सौर ऊर्जा का उपयोग कर ओवरहेड टैंक में पानी को स्टोर करने के लिए तैयार किया जाता है। यह पूरे दिन चलता है और सूरज की रोशनी उपलब्ध नहीं होने पर भी एक सामान्य हैंड पंप के रूप में कार्य करता है, इसलिए ग्रामीणों को चौबीसों घंटे स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति होती रहती है। बता दें कि सोलर ड्यूल पंपों की कार्यशीलता कई सालों तक सामान्यतः बाधित नहीं होती

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