बिलासपुर में करोड़ों रुपए कीमती सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर उसे टुकड़ों में बेच दी गई। मोपका स्थित सरकारी मद की जांच में कलेक्टर की अनुमति के बगैर पट्टे की जमीन को 24 से अधिक टुकड़ों में बेचने का मामला सामने आया है। इस गड़बड़ी में राजस्व विभाग के तत्कालीन अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि कलेक्टर के आदेश पर यहां जमीन का सीमांकन चल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सरकंडा के खेल परिसर से लगी सरकारी जमीन का भी सीमांकन कराया जा रहा है, जिसमें शैला मिल्टन नर्सिंग होम और उससे लगे पेट्रोल पंप पर सरकारी जमीन पर निर्माण करने का आरोप है। दरअसल, मोपका में खसरा नंबर 993/1 छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन है। इसके मद परिवर्तन के लिए वन विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य है। लेकिन, यहां की जमीन ट्रांसफर करते समय तत्कालीन राजस्व अफसरों ने कलेक्टर की अनुमति भी नहीं ली। यह मामला अधिकार अभिलेख वर्ष 1954-55 का है, जिसमें खसरा नंबर 1034 और खसरा नंबर 2521/1 की क्रमशः 2.79 व 2.12 एकड़ कुल 4.91 एकड़ जमीन बोने खाने के लिए मोहन सिंह पिता निक्काराम को दी गई थी। यहां छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन वन विभाग और कलेक्टर की अनुमति के बगैर ही बेच दी गई। अनुमति के बगैर हुई जमीन की खरीद-बिक्री यहां सरकारी जमीन पर अवैध् कब्जा कर खरीद-बिक्री करने की लगातार शिकायतें मिल रही है। जिस पर कलेक्टर अवनीश शरण ने मामले की जांच के लिए 17 सदस्यीय टीम का गठन किया है। संयुक्त कलेक्टर की अध्यक्षता में पूरे मामले की जांच की जा रही है। कमेटी की जांच में अब तक करीब चार एकड़ से अधिक जमीन पर ऐसे फर्जी पट्टे की जानकारी मिली है, जिसे बिना अनुमति के टुकड़ों में बेच दी गई है। खातेदारों को जारी किया गया है नोटिस जांच के दौरान टीम ने मोपका के जिस खसरा नंबर पर विवाद है और पट्टे की जमीन को बेची गई है। वहां काबिज खातेदारों को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें दस्तावेजों की जांच कराने कहा गया है। इसके लिए उन्हें 10 जनवरी तक का समय दिया गया है। बताया जा रहा है कि इन खातेदारों को फर्जी तरीके से नियमों को दरकिनार कर पट्टा दिया गया है। खसरा नंबर 561 की जमीन में भी हेराफेरी कर किया कब्जा बताया जा रहा है कि सरकंडा स्थित खेल परिसर से लगी सरकारी जमीन जिसका खसरा नंबर 561 है। इसमें रसूखदारों ने अवैध कब्जा कर खरीदी-बिक्री कर ली है। इसी जमीन से लगे शैला मिल्टन नर्सिंग होम के साथ ही पेट्रोल पंप भी संचालित है। आरोप है कि यह सरकारी जमीन पर है। कलेक्टर ने इस जमीन की जांच के लिए 14 सदस्यीय टीम बनाई है। एसडीएम पीयूष तिवारी के नेतृत्व में तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी की टीम बनाकर उन्हें एक सप्ताह के भीतर सीमांकन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। जांच टीम में यह हैं शामिल एसडीएम पीयूष तिवारी, डिप्टी कलेक्टर शिवकुमार कंवर, बिलासपुर तहसीलदार मुकेश देवांगन, अधीक्षक भू अभिलेख चांदनी ध्रुव, जवाहर सिंह उरांव, राजस्व निरीक्षक संगीता सिन्हा, संजय कौशिक, ममता तिर्की, सुशील अनंत एक्का, रमेश नायक, विजय जोशी, कैलाशनाथ मिश्रा, सुनील कश्यप, पटवारी धनंजय साहू, कृष्णा यादव, रविशंकर पांडेय और विरेंद्र बहादुर सिंह शामिल हैं।