पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए विवादित बयान के बाद कई देशों में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन हुए। हालांकि कुवैत ने उन अप्रवासियों पर ऐक्शन लेने का फैसला किया है जो प्रदर्शन में शामिल थे।

पैगंबर पर भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के बयान के विरोध में प्रदर्शन करने वाले विदेशी नागरिकों को कुवैत सरकार ने गिरफ्तार करके वापस उनके देश भेजेगी। इसके साथ ही उनका वीजा रद्द कर दिया जाएगा और उनके कुवैत में प्रवेश करने पर स्थाई रूप से प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। दरअसल, कुवैत में विदेशियों को प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं है। यहां गौर करने वाली बात है कि नूपुर शर्मा के बयान को लेकर कुवैत ने ही सबसे पहले भारत सरकार से विरोध जताया था।

अरब टाइम्स ऑनलाइन ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि सभी बाहरी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके निर्वासन केंद्र लाने और वहां से उन्हें संबंधित देशों में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने बयान जारी करके कहा, कुवैत में रहने वाले सभी प्रवासियों को यहां के कानून का सम्मान करना चाहिए और उन्हें किसी तरह के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। बीते शुक्रवार यानी 10 मार्च को कुवैत के फहील शहर में प्रवासियों द्वारा शुक्रवार को नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन किया गया था।

माना जा रहा है कि इन प्रदर्शनकारियों में भारतीय, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिक शामिल थे। इसके साथ ही सरकार ने कुवैत में रह रहे प्रवासियों के लिए चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि सभी प्रवासियों को कुवैती कानूनों का सम्मान करना होगा। अगर कोई भी कानून का उल्लंघन करता है और किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन में शामिल होता है तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने बताया अपना रुख
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी को लेकर बांग्लादेश ने अपना रुख साफ किया है। बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने कहा कि केवल किसी देश का अंदरूनी मामला नहीं है। बांग्लादेश ने नूपुर पर की गई कार्रवाई का स्वागत किया। उन्होंने कहा, हम मोहम्मद साहब के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते। हम इसकी निंदा करते हैं लेकिन भारत सरकार को बधाई भी देते हैं कि उन्होंने पैगंबर साहब का अपमान करने वाले पर तत्काल कार्रवाई की।

उन्होंने कहा, पहली बात तो ये कि यह भारत का केवल अंदरूनी मामला नहीं है। हालांकि यहां इस मामले को उतना तूल नहीं मिला जितना मिडिल ईस्ट, इडोनेशिया, मालदीव्स और  पाकिस्तान में मिला। सीमा से सटे कुछ इलाकों में प्रदर्शन हुए लेकिन वे शांतिपूर्ण थे। उन लोगों ने भारतीय उत्पादों को बायकॉट करने का भी फैसला किया।

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