राजकोट: गुजरात में राजकोट के शाही परिवार में अरबों रुपये की पुश्तैनी संपत्ति को लेकर विवाद हो गया है और परिवार के एक सदस्य ने अदालत का रुख किया है। गुजरात में 400 साल पुरानी तत्कालीन रियासत राजकोट के 17वें राजा मांधाता सिंह जडेजा की बहन अम्बालिका देवी ने मोचन पत्र (रिलीज़ डीड- संपत्ति पर पूर्व के दावों को खारिज करने वाला कानूनी पत्र) और अपने पिता मनोहर सिंह जडेजा की वसीयत के खिलाफ शहर की एक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया है।

उनके वकील केतन सिंधावा ने बुधवार को बताया कि उन्होंने मोचन पत्र को चुनौती दी है जो कहती है कि पुश्तैनी संपत्ति में उन्होंने अपने अधिकार को त्याग दिया है। वकील के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के झांसी में रहने वाली देवी ने दावा किया है कि उनके भाई मांधाता सिंह जडेजा ने 2019 में उन्हें “अंधेरे में रखकर और आधी-अधूरी जानकारी देकर’ इस मोचन पत्र पर हस्ताक्षर कराए थे। उस समय वह अपने पिता के निधन के बाद राजकोट आई थीं। सिंधावा के मुताबिक, उन्होंने अपने पिता की 2013 की वसीयत को भी चुनौती दी है जिसे उनके भाई ने राजस्व रिकॉर्ड में ‘म्यूटेशन’ (स्थानांतरण या प्रविष्टि के शीर्षक में बदलाव) के लिए उप जिलाधिकारी के समक्ष पेश किया था और उन्होंने इस मोचन पत्र को रद्द करने की अदालत से मांग की है।

राजकोट के उपजिलाधिकारी चरण सिंह गोहिल ने देवी की आपत्ति के आधार पर मंगलवार को ‘म्यूटेशन’ प्रविष्टि को खारिज कर दिया है। बहरहाल, मांधाता सिंह जडेजा के वकील नीरव दोशी ने दावा किया कि उनके मुवक्किल की बहन को वसीयत के मुताबिक 1.5 करोड़ रुपये दिए गए हैं जो उन्होंने अपने पति और दो बेटों की मौजूदगी में स्वीकार किए हैं।

दोशी के मुताबिक, देवी ने एक पंजीकृत मोचन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे कि पुश्तैनी संपत्ति पर उनका कोई हक नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि 2019 में हस्ताक्षर किए गए मोचन पत्र में उनके पति और दो बेटे गवाह हैं। मांधाता सिंह जडेजा विरासती होटलों की श्रृंखला चलाते हैं। मनोहर सिंह जडेजा कांग्रेस से पांच बार विधायक रहे थे और राज्य के वित्त मंत्री भी रहे थे। उनका 2018 में निधन हो गया था।

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