सरकार ने तेल कंपनियों से कहा कि खाने के तेल के पैकेट में दर्शाए गए वजन की तुलना में कम मात्रा की उपभोक्ताओं की शिकायतों को दूर करें।
वैश्विक बाजार में कीमत कम हुई
गौरतलब है कि भारत अपने खाद्य तेल की आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। बीते कुछ महीनों में वैश्विक बाजार में खाने के तेल के दाम तेजी से बढ़े थे। इसके चलते घरेलू बाजार में कंपनियों ने कीमत में अब बढ़ोतरी की थी। अब, चूकि वैश्विक बाजार में कीमत कम हुई तो सरकार ने कंपनियों को कीमत घटाने का निर्देश दिया है। खाद्य तेल कंपनियों ने पिछले महीने खाने के तेल की कीमतों में 10-15 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की थी।
एक समान एमआरपी रखना होगा
वैश्विक कीमतों में और गिरावट को देखते हुए बुधवार को खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने सभी खाद्य तेल संघों और प्रमुख निर्माताओं की एक बैठक बुलाई थी जिसमें मौजूदा हालात पर चर्चा की गई और एमआरपी को कम करके उपभोक्ताओं को राहत देने का फैसला लिया गया। पांडे ने बताया कि कंपनियों से हमने खाने के तेल की कीमत में 10 रुपये प्रति लीटर कटौती करने को कहा है। इसके अलावा, सचिव ने कंपनियों से देश भर में समान ब्रांडों के तेल की एक समान एमआरपी बनाए रखने के लिए कहा क्योंकि वर्तमान में अलग अलग शहरों 3-5 रुपये प्रति लीटर का अंतर है।
पैकेट का वजन सही करने का निर्देश
सचिव ने बताया कि बैठक में खाद्य तेल ब्रांडों के खिलाफ अनुचित व्यापार प्रथाओं के बारे में उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों पर चर्चा की गई। सचिव ने कहा कि कुछ कंपनियां पैकेज पर लिख रही हैं कि खाद्य तेल 15 डिग्री सेल्सियस पर पैक किया जाता है। इस तापमान पर तेल फैलता है और वजन कम होता है। लेकिन कम वजन पैकेज पर मुद्रित नहीं होता है, जो अनुचित व्यापार अभ्यास है। आदर्श रूप से, उन्हें 30 डिग्री सेल्सियस पर पैक करना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि 910 ग्राम का खाद्य 15 डिग्री सेल्सियस पर पैक किया जाता है, लेकिन वास्तविक वजन 900 ग्राम से कम होगा।