महिला के पति ने कहा कि 2 जनवरी को अदालत के फिर से खुलने के बाद, हमने जमानत अर्जी दायर की थी, लेकिन इसमें देरी हुई, क्योंकि पुलिस ने दो अलग-अलग पुराने मामलों में उसकी रिमांड मांगी थी.
कोरापुट (ओडिशा):
ओडिशा में जेल से एक दिन पहले निकली गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान मौत हो गई. महिला पिछले 16 दिनों से रायगढ़ा की जेल में बंद थी. 30 वर्षीय सुलबती नाइक मैकांच पंचायत के अंदराकांच गांव की रहने वाली थी और एक दिहाड़ी मजदूर की पत्नी थी. परिवार ने कहा कि नौ महीने की गर्भवती सुलबती उन 13 महिलाओं में शामिल थी, जिन्हें पुलिस ने पिछले साल 26 दिसंबर को एक निजी कंपनी में नौकरी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
मंगलवार शाम को जेल से बाहर आने के तुरंत बाद उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसे जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया गया. महिला के पति बैद्य नाइक ने कहा कि बुधवार रात महिला ने एक बेटे को जन्म दिया और उसकी हालत बिगड़ने पर उसे एसएलएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जो कि अंद्रकांच से करीब 70 किलोमीटर दूर था. उन्होंने बताया कि कोरापुट अस्पताल ले जाते समय देर रात करीब डेढ़ बजे महिला की मौत हो गई.
बैद्य ने कहा कि शिशु को रायगड़ा अस्पताल की विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में निगरानी में रखा गया है. उसके एक रिश्तेदार तुलसी नाइक ने कहा कि काशीपुर की एक अदालत द्वारा उसकी जमानत खारिज किए जाने के बाद महिला को जेल हिरासत में भेज दिया गया था, क्योंकि पुलिस ने उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) सहित अन्य के तहत आरोप लगाए थे.
उसके पति ने कहा, “2 जनवरी को अदालत के फिर से खुलने के बाद, हमने जमानत अर्जी दायर की थी, लेकिन इसमें देरी हुई, क्योंकि पुलिस ने दो अलग-अलग पुराने मामलों में उसकी रिमांड मांगी थी. मंगलवार (10 जनवरी) को उसकी जमानत अर्जी आखिरकार स्वीकार कर ली गई.”
रायगढ़ एसपी विवेकानंद शर्मा ने कहा, “मामले को देखा जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.”
वहीं कोरापुट के कांग्रेस सांसद सप्तग्रि उलाका ने घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने कहा, “पुलिस गर्भावस्था के एक अंतिम चरण में एक महिला को कैसे गिरफ्तार कर सकती है, वह भी हत्या के प्रयास के आरोप में? इसकी ठीक से जांच होनी चाहिए.”
उलाका ने यह भी सवाल किया कि क्या जेल में रहने के दौरान महिला को पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान की गई थी और इसकी जांच की जरूरत है. हम शोक संतप्त परिवार के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हैं और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप की मांग करेंगे.