टीएस सिंहदेव ‘बाबा’ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा देने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। सीएम भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक खुलकर आमने-सामने आ गए हैं।

कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव ‘बाबा’ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा देने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। सीएम भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक खुलकर आमने-सामने आ गए हैं। विधायकों ने सिंहदेव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए हाईकमान को पत्र भेजा है। बुधवार को विधानसभा के मॉनसून सत्र में विपक्ष ने प्रदेश में संवैधानिक संकट की बात कहते हुए जमकर हंगामा किया। भूपेश सरकार से जवाब मांगा, जिसके बाद सदन की कार्रवाई एक दिन लिए स्थगित करनी पड़ी। गुरुवार को भी सिंहदेव का इस्तीफा मामला सदन में गूंज सकता है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने‌ 16 जुलाई को पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ यह कहते हुए खलबली मचा दी है कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। सिंहदेव के इस्तीफे के बाद मचा घमासान लगातार जारी है। छत्तीसगढ़ के इस सियासी हालात की गूंज दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है। सिंहदेव खुद दिल्ली में हैं। पार्टी पदाधिकारी हाईकमान की तरफ से इस पर निर्णय होने की बात कह रहे हैं, लेकिन जिस तरह के हालात छत्तीसगढ़ कांग्रेस में है। उसे देखते हुए यही लगता है कि आने वाले समय में दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रदेश राजनीति में उठ रहे कई सवाल 
टीएस सिंहदेव के इस्तीफे का मामला कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गया है। ऐसे में इसका निर्णय कांग्रेस हाईकमान को ही करना है। इस्तीफा मंजूर होगा कि नहीं होगा? इन सब मामले पर राजनीति दिल्ली में केंद्रित हो गई है। हालांकि इस्तीफा मंजूर करना या न करना सीएम का विशेषाधिकार है, फिर भी सीएम भूपेश बघेल ने मामला हाईकमान पर छोड़ दिया है। इधर भाजपा, सरकार में सब कुछ सही नहीं होने का दावा कर रही है। यह दबाव बनाने दिया गया इस्तीफा है या फिर सरकार के अंदर सही में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे तमाम सवाल अभी छत्तीसगढ़ की राजनीति में उठ रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी की छवि पर पड़ेगा प्रभाव
छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल का विवाद, मंत्री का इस्तीफा और सत्ता में टकराव का असर कांग्रेस पार्टी पर पड़ेगा। कांग्रेस के भीतर मचा घमासान सार्वजनिक हो गया है। इस तरह की परिस्थितियां किसी भी राजनीतिक दल के लिए अच्छी नहीं होती। सिंहदेव के पास अभी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) का प्रभार है। सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री बने रहेंगे या उसे भी छोड़ देंगे यह बड़ा सवाल है। एक साल बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में घटनाक्रम से कांग्रेस की सेहत पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

रमन सरकार में बेहतर स्थिति में थे TS
ढाई साल पूरा होने के बाद जैसे ही सीएम बदलने की आंधी चली टीएस सिंहदेव खेमा को कमजोर करने की कोशिश शुरू हो गई। सिंहदेव समर्थन विधायक भी पाला बदलने लगे। टीएस सिंहदेव की अनुशंसाओं की फाइलें डंप की जाती रहीं। मंत्री के विभाग में दखल और सचिवों की कमेटियों का निर्णय जाहिर सी बात है किसी मंत्री के लिए यह सहज स्थिति नहीं है। इसे लेकर टीएस सिंहदेव लंबे समय से सरकार से खफा हैं। सरगुजा संभाग में टीएस समर्थकों पर पुलिस व प्रशासन द्वारा टार्गेटेड कार्रवाई के साथ उनके लिए प्रशासनिक प्रोटोकॉल तक का पालन नहीं करने से उनकी नाराजगी और बढ़ी। टीएस सिंहदेव की इससे बेहतर स्थिति भाजपा के डॉ. रमन सिंह सरकार में थी, जब वे नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे।

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