इंग्लिश चैनल पार करने के बाद सत्येन्द्र सिंह ने कहा,”मेरी विकलांगता मेरी ताकत है और मैं कमजोर नहीं हूं. मैं अपनी योग्यताओं के आधार पर जीवन मे संघर्ष करके आगे बढ़ा हूं. अपनी अक्षमताओं के आधार पर नहीं और जीवन में कभी हार नहीं मानी है. मेरा संदेश है कि हमें सहानुभूति से बेहतर सम्मान प्रोत्साहन की जरूरत है. इसलिये मेरा मानना है कि मेरे जैसा कोई भी व्यक्ति हो,वह मेहतन करे और मुझसे भी जीवन मे और आगे बढे, ओर वह संकल्प लेकर जीवन में कोई भी सिद्धि हासिल कर सकता है.”
तैराकी शुरू करने से पहले भारतीय टीम में एक सदस्य को बदल दिया गया था. मंजीत सिंह को जयंत प्रकाश की जगह शामिल किया गया, क्योंकि मंजीत सिंह टीम से नहीं जुड़ पाए थे.
ग्वालियर के निवासी सत्येन्द्र जिनकी 70 फीसदी विकलांग है और वे अपने पैरों का उपयोग नहीं कर सकते. सत्येन्द्र इंग्लिश चैनल और कैटलिना चैनल दोनों चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने वाले एशिया के पहले पैरा-एथलीट भी हैं.
उन्होंने 2018 में इंग्लिश चैनल पार कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई और 2019 में भारतीय पैरा-एथलीट टीम के हिस्से के रूप में यूएसए में कैटालिना चैनल पार किया. उन्हें 2022 में नॉर्थ चैनल तैरने का श्रेय भी प्राप्त है.