बिरला ने आने वाले समय में सीओपी-20, जी-20 और उसके आगे अन्य मंचों पर भी साझा प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के लिए जी20 देशों की संसदों के सामूहिक दृढ़ संकल्प को भी दोहराया. सांसदों की भूमिका के बारे में बात करते  हुए बिरला ने कहा कि जन प्रतिनिधि के रूप में, संसद सदस्य जनता की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं  को पूरा करने के लिए आवश्यक नीतियां और कानून बनाने की विशेष स्थिति में है.

नई दिल्ली: नौवां जी-20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (P20) जिसका उद्घाटन PM मोदी ने किया था, आज लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के समापन भाषण के साथ संपन्न हुआ. राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, अंतर-संसदीय संघ के अध्यक्ष दुआर्ते पचेको, जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई.

समापन भाषण में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य के लिए संसद” विषय पर आयोजित पी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता में योगदान देने के लिए जी20 देशों की संसदों और आमंत्रित देशों के पीठासीन अधिकारियों देशों को धन्यवाद दिया. बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि संयुक्त वक्तव्य को सर्वसम्मति से स्वीकार किए जाने से पी20 प्रक्रिया और मजबूत हुई है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एसडीजी, हरित ऊर्जा, महिलाओं के  नेतृत्व में  विकास और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विषयों पर आयोजित चार सत्रों में प्रतिनिधियों द्वारा व्यक्त अमूल्य विचारों  से  जी -20 प्रक्रिया और मजबूत होगी और जन केंद्रित विकास में मदद मिलेगी.

जी-20 के संसदीय आयाम का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने कहा कि पिछले दो दिनों में हुई चर्चाओं से जी20 के संसदीय आयाम का  महत्व स्पष्ट रूप से सामने आया है और यह भी सिद्ध हुआ है कि एक पृथ्वी, एक परिवार एक भविष्य  के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संसदें कैसे मिलकर काम कर सकती हैं. बहुपक्षवाद पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, हम किसी विशेष मुद्दे को अलग करके नहीं देख सकते. इस सन्दर्भ में उन्होंने संयुक्त वक्तव्य के अनुच्छेद 27 का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि हम संघर्षों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति, समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देने के उत्प्रेरक के रूप में प्रासंगिक मंचों पर संसदीय राजनय और संवाद  जारी रखेंगे.”

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