ऑनलाइन ठग गिरोह ने बैंकों तक घुसपैठ कर ली है। ठगी के करोड़ों रुपयों का ट्रांजेक्शन बिना रोक-टोक करने के लिए गैंग अपने सदस्यों का कॉर्पोरेट खाता खुलवा रहे हैं। ये खाते लाखों का ट्रांजेक्शन करने वाली कंपनियों के नाम से खोले जाते हैं। जीएसटी नंबर और कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी पड़ती है। लेकिन यहां बैंकों ने सब्जी-चाय ठेला और मैकेनिक दुकान चलाने वालों के नाम से 56 से ज्यादा कार्पोरेट खाते खोल दिए। अब इन बैंकों के जिम्मेदार गायब हैं। भास्कर टीम सिविल लाइन स्थित उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक पहुंची। इस बैंक के सौ से ज्यादा खातों में ठगी के पैसों का ट्रांजेक्शन हुआ है। सबसे ज्यादा कॉर्पोरेट खाते भी यहीं खोले गए हैं। जिम्मेदार बैंक बंद कर गायब है। पुलिस सारी जानकारी ले चुकी है। गुढ़ियारी और जीई रोड के दो बैंकों में भी लगभग यही जवाब दिया गया है। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि जल्द ही बैंक के 12 से ज्यादा अधिकारियों व कर्मचारियों की गिरफ्तारी होगी। उन्होंने अधूरे दस्तावेजों में 56 कॉर्पोरेट खाता खोले और उन खातों से ठगी के लाखों रुपयों का ट्रांजेक्शन हुआ। बैंक अफसरों को पता था कि उनके बैंक के खातों से ठगी के पैसों का ट्रांजेक्शन हो रहा है। जबकि कार्पोरेट खाते के लिए न्यूनतम 50 हजार से 2 लाख रु. बैलेंस होना चाहिए। 1100 खातों की जांच की गई, 104 के मामलों में एफआईआर एक साल में गृह विभाग के क्राइम पोर्टल और जिला पुलिस के पास 1100 बैंक खातों की शिकायतें आईं थी। इसमें ठगी के पैसों का ट्रांजेक्शन हुआ था। इन खातों को ब्लॉक कराने के बाद इन्हीं 1100 खातों में हुए पैसों के ट्रांजेक्शन की पड़ताल शुरू की गई। रिकॉर्ड खंगाला गया कि खाता किसके नाम पर है? उनका कारोबार क्या है? खाते का क्या उपयोग हो रहा है? जांच के बाद 160 खातों को चिन्हित किया गया। खुलासा हुआ कि इन खातों से ठगी के 85 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है। इसमें भी 104 खाते एक ही ब्रांच में खोले गए हैं। इसमें ठगी का 57 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। जांच के दौरान ये भी पता चला कि कुछ बैंकों ने केवल खाता धारकों की संख्या बढ़ाने के चक्कर में कंपनियों के पते पर जाकर जांच नहीं की। ये नहीं देखा कि कंपनी का दफ्तर कहां है? इनका कारोबार क्या है? गाड़ी मैकेनिक ने बनाई कंपनी
गाड़ी मैकेनिक सत्यम सेवानी ने सत्यम ऑटोडील के नाम से कंपनी रजिस्ट्रेशन कराया। अधूरे दस्तावेजों के आधार पर उसका बैंक में कार्पोरेट खाता खुल गया। फिर उसमें वह पैसों का लेन-देन भी करने लगा। उसके खाते से करीब छह महीने में ही डेढ़ करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हुआ है। सब्जी ठेले वाले का करोड़ों का ट्रांजेक्शन
मंदिर हसौद के मनोज धीवर रोड के किनारे सब्जी ठेला लगाता है। उसने अपने नाम से एक कंपनी रजिस्ट्रेशन कराया। इसमें अपने रिश्तेदारों को पार्टनर बनाया। बैंक में कार्पोरेट अकाउंट खुलावाया। उसके खाते में एक साल में 5 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हुआ है। इन कंपनी में हर माह 50 लाख
मांझी केटर्स, यादव ट्रेडर्स, निर्मलकर एग रोल, राजू चिकन सेंटर, अजय इंटरप्राइजेस समेत ऐसे कई कंपनियां बनाई गई। इसमें फर्जी ऑडिट रिपोर्ट लगाई है। जीएसटी नंबर नहीं है। इन कंपनियों के नाम से अलग-अलग बैंक में खाते है। उसमें हर माह 50 लाख का ट्रांजेक्शन होने लगा। मैंसेजर एप से ठग कर रहे लोगों से संपर्क रायपुर में आधा दर्जन ऐसा गैंग सक्रिय है जो ठगी के पैसों का ट्रांजेक्शन करवाने के लिए खाते उपलब्ध करवा रहा है। इस गैंग का दिल्ली-मुंबई और झारखंड के ठग गैंग से टेलीग्राम के माध्यम से लिंक जुड़ा है। ये गैंग फेसबुक और अन्य माध्यम से लोगों का प्रोफाइल चेक कर उनसे संपर्क कर कमीशन का झांसा देकर उनसे खाते लेता है।
बैंक कर्मियों पर भी होगी कार्रवाई
^ ठग गैंग को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम और बैंक खाता उपलब्ध करवाने वालों का पता लगाया जा रहा है। अभी जिनके नाम पर खाते हैं। उन पर कार्रवाई की जा रही है। जल्द इसमें बैंक के कर्मचारी और अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। -अमरेश मिश्रा, आईजी रायपुर रेंज