प्रदेश सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री गौसेवा योजना की शुरुआत की है और इसके लिए 256.77 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल तो ये उठता है कि गायों को लेकर इतनी अनदेखी क्यों हो रही है।

मध्य प्रदेश में गायों के संरक्षण के नाम पर सरकार लाखों रुपये पानी की तरह बहा रही है। इसके बावजूद सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में गायें मंडरा रही है। प्रदेश के हाइवे हों या फिर शहरों की सड़कें, हर मार्ग पर गायों और मवेशियों ने कब्जा जमा रखा है। जिससे लोग अक्सर हादसे के शिकार हो रहें हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश की सड़कों पर सफर करना जोखिम भरा होता जा रहा है।

मुख्य सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा होने के कारण लगातार सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर कोई ध्यान दिया जा रहा है। सड़क पर डेरा जमा चुके मवेशियों से राहगीर ही नहीं बल्कि खुद मवेशियों को भी खतरा है। हर रोज ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें सड़क पर बैठे मवेशियों पर ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉली या बस जैसे वाहनों के पहिए चढ़ जाते हैं, जिससे मवेशियों के पैर टूट जाते हैं या कुचल जाते हैं। साथ ही कई मवेशी वाहनों की चपेट में आकर जान तक गंवा देते हैं। हाल ही में प्रदेश के सागर, मुरैना, नर्मदापुरम जैसे कई जिलों में ऐसे हादसे देखने को मिले।

दरअसल मध्य प्रदेश में गाय और गौशालाओं पर जमकर सियासत होती है। खुद को गाय सेवक बताने में भाजपा और कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी, बावजूद इसके प्रदेश में गौवंश के हालात अभी तक नही सुधरे हैं। खुद को गायों का हितैषी बताने वाली शिवराज सरकार ने तो प्रदेश में गोपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड का गठन तक कर डाला है और प्रति गाय का एक दिन का खर्च 20 रुपये तक निर्धारित किया है। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है।

वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गाय संरक्षण के लिए गौशाला निर्माण करने का वादा किया था। उस दौरान देवास जिले की सोनकच्छ विधानसभा में जिले की प्रथम गौशाला का भूमि पूजन किया गया था। कमलनाथ सरकार ने वादा किया था कि पूरे प्रदेश में 1000 गौशालाएं खोली जाएंगी। और इसमें एक लाख निराश्रित गौवंश की देख-रेख होगी। उस दौरान पशुपालन विभाग द्वारा तैयार इस नीति के तहत कम से कम तीन हजार गायों के लिए 50 एकड़ जमीन सरकार की तरफ से दी जानी थी।

प्रदेश की गौशालाओं पर नजर डाले तो यहां वर्तमान में 2200 गौशालाएं सक्रिय हैं। इनमें से सरकार द्वारा 1587 गौशालाएं चलाई जा रही है। यहां 2 लाख 55 हजार गौवंश पल रहे हैं। इसके अलावा प्राइवेट संस्थाओं द्वारा 627 गौशालाएं चलाई जा रही हैं। इनमें 1 लाख 73 हजार 874 गौवंश का पालन किया जा रहा है।

प्रदेश सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री गौसेवा योजना की शुरुआत की है और इसके लिए 256.77 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल तो ये उठता है कि सरकार ने गायों के लिए अलग बोर्ड बना तो दिया और उसके लिए पर्याप्त बजट भी दिया जा रहा है फिर क्या वजह है कि व्यवस्था ठीक नहीं हो पा रही है।

बता दें कि गायों के संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश में गौ कैबिनेट का गठन किया गया है। गौ कैबिनेट का गठन करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। इसके गठन को पूरे दो साल बीत चुके है, बावजूद इसके प्रदेश में अभी तक गौशालाओं के हालात नहीं सुधरे हैं।

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