उम्मीदवार के नामांकन पत्र में 20 प्रस्तावकों और 20 अनुमोदकों के हस्ताक्षर होने चाहिए। एक निर्वाचक या तो प्रस्तावक या अनुमोदक के रूप में उम्मीदवार के केवल एक नामांकन पत्र पर अपना हस्ताक्षर कर सकता है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है, जो 19 जुलाई तक जारी रहेगी। नामांकन पत्र की जांच 20 जुलाई को की जाएगी और 22 जुलाई तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होना है। मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। राजनीतिक दलों ने चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा अभी तक नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को इस चुनाव में स्पष्ट बढ़त हासिल है।

नामांकन पत्र दाखिल करने की जरूरी शर्तें
नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करता है और मतदाताओं से अगला उपराष्ट्रपति चुनने को कहता है। उम्मीदवार के नामांकन पत्र में 20 प्रस्तावकों और 20 अनुमोदकों के हस्ताक्षर होने चाहिए। एक निर्वाचक या तो प्रस्तावक या अनुमोदक के रूप में उम्मीदवार के केवल एक नामांकन पत्र पर अपना हस्ताक्षर कर सकता है। एक उम्मीदवार अधिकतम चार नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। चुनाव के लिए जमानत राशि 15,000 रुपये है।

कौन करता है मतदान?
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वोट देने के पात्र होते हैं, जिसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। इस चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के 788 सदस्य शामिल होते हैं। चूंकि, निर्वाचक मंडल के सभी सदस्य, संसद के दोनों सदनों के सदस्य हैं, इसलिए प्रत्येक संसद सदस्य के मत का मूल्य समान यानी कि एक होगा।

क्या है मतदान की प्रक्रिया?
चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होता है। चुनाव में गुप्त मतदान किया जाता है। इस प्रणाली में, निर्वाचक को उम्मीदवारों के नामों के सामने वरीयताएं दिखानी होती है। मतदाताओं से मतदान की गोपनीयता को निष्ठापूर्वक बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। इस चुनाव में खुले मतदान की कोई अवधारणा नहीं है और राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव में किसी भी परिस्थिति में किसी को भी मतपत्र दिखाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन होने पर कार्रवाई
वर्ष 1974 के नियमों में निर्धारित मतदान प्रक्रिया में यह प्रावधान है कि मतदान कक्ष में वोट पर निशान लगाने के बाद मतदाता को मतपत्र को मोड़कर मतपेटी में डालना होता है। मतदान प्रक्रिया के किसी भी उल्लंघन पर पीठासीन अधिकारी की ओर से मतपत्र को रद्द कर दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *