कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा हुई है.

नई दिल्ली: 

पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने रोड रेज मामले में सरेंडर कर दिया है. उन्हें 1988 के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साल के सश्रम कारावास की सजा दी है. इससे पहले खबर आई थी कि सिद्धू समर्पण करने के लिए चार से छह सप्ताह की मोहलत चाहते हैं. वे इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाले थे. हालांकि सिद्धू ने दिल्ली के पटियाला कोर्ट में आज दोपहर में सरेंडर कर दिया.

सिद्धू के सरेंडर करने के लिए चार से छह हफ्ते की मोहलत मांगने की बात पर पंजाब के वकील ने विरोध किया था. उन्होंने कहा कि 34 साल का मतलब यह नहीं है कि अपराध मर जाता है. अब फैसला सुनाया गया है, तो उन्हें फिर से 3-4 हफ्ते चाहिए. हालांकि, पंजाब के वकील ने कहा कि समय देने पर विचार करना अदालत का विवेक है.  जस्टिस खानविलकर ने सिद्धू के वकील को कहा कि आप अर्जी दाखिल करें और CJI के समक्ष बेंच के गठन के लिए मेंशन करें.

हालांकि सरेंडर की मोहलत मांगने की बात से पहले खबर यही आई थी कि सिद्धू आज (शुक्रवार, 20 मई) को पटियाला हाउस कोर्ट में सरेंडर करेंगे. कांग्रेस के कुछ नेता और समर्थक शुक्रवार को सुबह नवजोत सिंह सिद्धू के आवास पर पहुंचे थे. सिद्धू को 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि कम सजा देने के लिए किसी भी तरह की सहानुभूति न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचाएगी और कानून के प्रभाव को लेकर जनता के विश्वास को कमजोर करेगी. सिद्धू ने कल अदालत के फैसले के बाद ट्वीट किया था, ‘‘कानून का सम्मान करूंगा.”

सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज की घटना में सिद्धू को 2018 में एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी थी. पीड़ित परिवार की रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. इस घटना में एक 65 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, सिद्धू और उनके सहयोगी रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और उसमें सवार सिद्धू तथा संधू को इसे हटाने के लिए कहा. इस पर दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. मरपीट के बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी.

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