पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई। उन्होंने कहा कि नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने बुधवार को कहा कि फिल्म ‘रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट’ में पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा किए गए दावे झूठे हैं। उन्होंने कहा कि ये दावे भारत की दिग्गज अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने वाले हैं। डॉ. ए ई मुतुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो, प्रो. ई वी एस नंबूतीरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिकों ने बुधवार को यहां मीडिया से मुलाकात की और फिल्म में किए गए दावों को खारिज किया।
पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा, “हम सार्वजनिक रूप से कुछ बातें बताने के लिए मजबूर हुए हैं क्योंकि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को “रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट” फिल्म के माध्यम से और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम करने पर तुले हुए हैं। उनका दावा है कि वह कई प्रोजेक्ट के जनक हैं, बिल्कुल गलत है। उन्होंने फिल्म में यहां तक दावा किया कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को सही किया था, जो आगे चलकर राष्ट्रपति बने। यह भी गलत है।” अभिनेता आर माधवन द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित फिल्म एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है। फिल्म में माधवन मुख्य भूमिका में हैं।
पूर्व वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि उन्होंने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ से फिल्म में किए गए झूठे दावों पर निर्णय लेने के लिए कहा है। पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई। उन्होंने कहा कि इसरो ने 1980 के दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था और ई वी एस नंबूदरी प्रभारी थे। उन्होंने दावा किया, ‘‘नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था।’’
पूर्व वैज्ञानिकों के समूह ने यह भी दावा किया कि इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लेखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया है वह सच है। कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी चिंता जतायी कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं।’’
पूर्व वैज्ञानिकों के आरोपों के संबंध में नारायणन या फिल्म के निर्माताओं की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उच्चतम न्यायालय ने 2018 में, इसरो जासूसी मामले में केरल पुलिस की भूमिका की जांच का आदेश दिया था, जिसमें 76 वर्षीय नारायणन आरोपी थे। इस मामले में गिरफ्तार किए गए नारायणन को करीब दो महीने जेल में रहना पड़ा था और बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पाया कि जासूसी का मामला झूठा था।
2018 में ही, सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को उन्हें 1.3 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। मामले में गिरफ्तार किए गए नारायणन ने करीब दो महीने जेल में बिताए थे और बाद में सीबीआई ने पाया कि जासूसी का मामला गढ़ा गया था। जासूसी का मामला, 1994 में आया था।