बिलासपुर में नायब तहसीलदार की पिटाई का मामला पुलिसिया लेट-लतीफी के चलते अब फिर से गरमाने लगा है। बुधवार को नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा, उनके भाई और पिता ने मीडिया के सामने आकर न्याय की मांग की। उन्होंने कहा कि, पूरी घटना में एसपी सहित पुलिस अफसरों को गुमराह किया गया है। जिसके चलते उनके खिलाफ झूठी एफआईआर की गई है। इसमें सीएसपी की भूमिका भी संदिग्ध है। कलेक्टर-एसपी की मौजूदगी में हुए समझौते के बाद भी पुलिस केस को खत्म नहीं कर रही है। प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि, जब मैं अपने पिता और भाई के साथ था, तब एक आम इंसान की तरह था। लेकिन, जब उन्हें परिचय दिया और टीआई को इसकी जानकारी दी गई, तब उनका रवैया बदल गया। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट होने की बात कहने के बाद टीआई ने उन्हें थाने बुलाया, जिसके बाद अफसरों को बताया गया कि मैं नशे में हूं और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया। जबकि, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। सीएसपी ने पिटाई करने दी मौन स्वीकृति नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा ने बताया कि, थाने में उन्हें रात करीब दो बजे से सुबह चार बजे तक रखा गया था। तब टीआई तोप सिंह नवरंग के साथ सीएसपी सिद्धार्थ बघेल भी मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने मेरे साथ मारपीट नहीं किया और नहीं दुर्व्यवहार किया। लेकिन, उनकी मौजूदगी में नायब तहसीलदार के साथ अभ्रदता हुई। इसका मतलब साफ है कि उनकी मौन स्वीकृति थी। यही वजह है कि टीआई ने उनके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया। सीएसपी चाहते तो हस्तक्षेप कर सकते थे। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का किया उल्लंघन पुष्पराज ने बताया कि, मुझे एक दिन पहले 30 दिसम्बर को विभागीय जांच के लिए बुलाया गया था। बयान देने से पहले पुलिस की तरफ से बताया कि सरकंडा थाना से मिले CCTV फुटेज में ऑडियो नहीं है। वीडियो के आधार पर जांच चल रही है। नायब तहसीलदार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का शासन को स्पष्ट आदेश है कि थाना में सीसीटीवी फुटेज का वीडियो के साथ आडियो जरूरी है। फुटेज और आडियो को कम से कम 18 महीने तक सुरक्षित रखना अनिवार्य है। लेकिन, पुलिस का कहना है कि वीडियो के अलावा उनके पास कोई रिकार्ड नहीं है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। उनका आरोप है कि टीआई तोप सिंह नवरंग को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यही वजह है कि एक महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस ने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत उन्हें CCTV फुटेज नहीं दिया है। कलेक्टर की मौजूदगी में एसपी ने मानी थी गलती नायब तहसीलदार ने बताया कि, घटना के बाद 22 नवंबर को कलेक्टर की मौजूदगी में नगर निगम आयुक्त, एसपी रजनेश सिंह ने स्वीकार किया था कि पुलिस से गलती हुई थी। जिसके लिए उन्होंने खेद भी जाहिर किया था। इस दौरान टीआई तोपसिंह नवरंग ने भी अपनी गलती मानी थी। तब एसपी ने तीन दिन के भीतर झूठी एफआईआर को खत्म करने की बात कही थी। लेकिन, आज तक एफईआर खत्म नहीं किया गया है। मेरी लड़ाई सिस्टम से नहीं, बल्कि पुलिस के एक जिम्मेदार अफसर से है, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया है। ऐसे अफसर जिन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को गुमराह किया। जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप गलत उन्होंने कहा कि, पुलिस की जांच सहयोग नहीं करने का आरोप गलत है। पुलिस जांच में मुलाहिजा कराने में सहयोग नहीं करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि, मैंने सिम्स में अपने परिजन को बुलाने और उनकी मौजूदगी में मुलाहिजा कराने की बात कही, तब पुलिसकर्मियों ने परिजनों को बुलाने से मना किया। जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने डॉक्टर को कह दिया कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं और उन्होंने डॉक्टर से ऐसा लिखवा भी लिया। संघ के पदाधिकारियों के साथ होगी बैठक नायब तहसीलदार मिश्रा ने अपने अगले कदम के सवाल पर कहा कि, अगर मुझे न्याय नहीं मिलेगा तो मुझे फिर से अपने संघ के पदाधिकारियों के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। संघ के पदाधिकारियों से अपनी बात रखने और बैठक के बाद आने वाले समय में निर्णय लिया जाएगा। हालांकि, संघ के पदाधिकारियों ने मुझे साथ खड़े रहने और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।