छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ यह कहते हुए खलबली मचा दी है कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। फिलहाल वे कांग्रेस में ही रहेंगे।
छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ यह कहते हुए खलबली मचा दी है कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। पारिवारिक पृष्टभूमि कांग्रेस की है और फिलहाल वे कांग्रेस में ही रहेंगे, लेकिन जीवन में कई निर्णय लेने पड़ते हैं। इस्तीफे के एक दिन पूर्व शुक्रवार को उन्होंने संभाग के कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। टीएस सिंहदेव के इस निर्णय ने भूपेश बघेल कैबिनेट में भूचाल ला दिया है। सिंहदेव अगर सख्त रूख अपनाते हैं तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
बता दें कि टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कई बार कह चुके हैं। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को अब निर्णय ले लेना चाहिए। पिछले साढ़े 3 साल के भूपेश सरकार के कार्यकाल में न सिर्फ टीएस सिंहदेव की लगातार उपेक्षा की गई, बल्कि उन्हें कमजोर भी किया गया। टीएस के समर्थक विधायकों ने पाला बदल लिया। सिंहदेव के खास समर्थक माने जाने वाले विधायक भी अब उनके साथ नहीं हैं। अपने विभागों के कई कामकाज को लेकर उन्होंने भूपेश बघेल को पत्र लिखा, जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। लगातार उपेक्षा से उन्होंने अब सख्त रूख अपना लिया है।
इस्तीफा से पहले कांग्रेस नेताओं के साथ की बैठक
टीएस सिंहदेव गुरुवार 14 जुलाई को सरगुजा के दौरे पर पहुंचे थे। तब से ही इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि वे कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने शुक्रवार को अविभाजित सरगुजा के तीनों जिले के वरिष्ठ कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ एक बैठक भी की थी। इसके बाद शनिवार को उन्होंने पंचायत विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री बने रहेंगे। टीएस सिंहदेव के इस इस्तीफे के साथ ही यह भी कयास लग रहा है कि वे आने वाले समय में कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। बघेल व सिंहदेव के बीच की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है।
ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पर निर्णय नहीं हुआ
प्रदेश में ढाई-ढाई साल के सीएम फार्मूले पर हमेशा चर्चा होती रही है। भूपेश बघेल इससे हमेशा इनकार करते रहे, लेकिन टीएस सिंहदेव ने इशारों-इशारों में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर केंद्रीय नेतृत्व को निर्णय लेने को लेकर जोर दिया। हालांकि इस पर कोई निर्णय नहीं होने व लगातार सरकार में उपेक्षा से वे खासे नाराज चल रहे हैं। कई बार इसे लेकर वे दिल्ली भी पहुंचे, लेकिन अब तक निर्णय नहीं सका है। इस राजनीतिक खींचतान के बीच यह भी कयास लग रहे थे कि टीएस सिंहदेव पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा या आप ज्वाइन कर सकते हैं। टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट किया है कि वे फिलहाल कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं। अगला निर्णय भविष्य की गर्त में है। जीवन में कुछ निर्णय लेने पड़ते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है।
सरकार ने सिंहदेव को हेलीकाफ्टर तक नहीं दिया
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तब से माना जा रहा था कि टीएस सिंहदेव के पास समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा है और वे सीएम बनेंगे। जब भूपेश बघेल सीएम बने तो ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फार्मूला सामने आया। इस खींचतान के बीच न सिर्फ सिंहदेव की उपेक्षा होने लगी, बल्कि उन्हें कमजोर भी किया जाता रहा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 90 विधानसभा क्षेत्रों का प्रवास शुरू किया तब टीएस सिंहदेव ने उनके समानांतर दौरा कार्यक्रम जारी कर दिया। सरकार ने उन्हें हेलीकाप्टर तक नहीं दिया। उन्होंने अपने खर्चे पर किराये का हेलीकाप्टर मंगवा लिया। किरकिरी होता देख, सरकार ने इसके बाद प्रदेश के 2 अन्य मंत्रियों को हेलीकाप्टर दे दिया और यह संदेश दिया गया कि सभी मंत्री प्रदेश का दौरा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने सरगुजा संभाग में टीएस सिंहदेव के क्षेत्र अंबिकापुर विधानसभा को छोड़कर सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उनकी अनुशंसाओं की फाइलें डंप की जाती रहीं। हालात यह हैं कि प्रदेश में तबादलों के लिए बनी मुख्यमंत्री समन्वय समिति में भी उनकी फाइलें डंप की जाती रहीं। सरगुजा संभाग में भी उनके कट्टर समर्थक विधायक अब टीएस सिंहदेव के पाले से हटकर सीएम के पाले में जा बैठे हैं। सीएम के प्रवास के दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने भी शिकायत की है कि सरकार में कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों की न तो प्रशासन सुन रहा है, न मंत्री व विधायक। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार में सब कुछ कम से कम ठीक तो नहीं है।