राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर विभाग द्वारा बनाई टास्क फोर्स ने अन्य राज्यों की उच्च शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए कार्य योजना बनाई है। नीति लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। वहीं, सांसद और विधायक भी भोज विवि के जरिए कॉलेज की पढ़ाई कर सकेंगे।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि उच्च शिक्षा को अधिक जॉब ओरिएंटेड बनाने के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। इस वर्ष कॉलेजों में 177 डिप्लोमा और 282 सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएंगे। 79 विषय के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। इसमें स्टूडेंट्स को वैकल्पिक सब्जेक्ट चुनने का मौका भी मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप एक साल में सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा एवं तीन साल में डिग्री सहित ‘मल्टीपल एंट्री, मल्टीपल एग्जिट’ सिस्टम और चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) भी लागू किया जा रहा है। इस वर्ष आधार पाठ्यक्रम में योग एवं ध्यान के पाठ्यक्रम भी जोड़े गए हैं।

इस बार रिकॉर्ड एडमिशन होने की उम्मीद:- मध्य प्रदेश में पिछले 5 वर्ष में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में लगातार उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले 5 वर्ष में जीईआर में 4.5% से अधिक वृद्धि रिकॉर्ड की गई हैं। वर्ष 2015-16 में जीईआर 19.6 था जो 19-20 में 24.2 पर पहुंच गया है। वर्ष 2019-20 में 5.36 लाख स्टूडेंट्स ने यूजी और पीजी के प्रथम सेमेस्टर में एडमिशन लिया था। 2020-21 में 5.64 लाख ने इन कक्षाओं में प्रवेश लिया। इस वर्ष उम्मीद है कि यह रिकॉर्ड भी नया बनेगा।

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