छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कृषि मंत्री राम विचार नेताम को करीब 500 महिलाओं ने बंधक बना लिया है। मंत्री नेताम एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने कोरबा पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि सभी महिलाओं से फ्लोरा मैक्स कंपनी ने करीब 500 करोड़ की धोखाधड़ी की है। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। महिलाओं ने मंत्री के काफिले को कार्यक्रम स्थल पर ही रोक दिया। महिलाओं का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का हल नहीं निकलता, वे मंत्री को यहां से जाने नहीं देंगी। महिलाएं लंबित समस्याओं और फ्लोर मैक्स प्रकरण से जुड़े मुद्दों को लेकर तुरंत समाधान की मांग कर रहीं हैं। महिलाओं ने मंत्री को क्यों बनाया बंधक? दरअसल, 2022 में फ्लोरा मैक्स कंपनी ने महिला समूह के सदस्यों को बैंक से लुभावने बिजनेस लोन दिलाया। कंपनी ने वादा किया था कि लोन की किस्तें वह खुद जमा करेगी, लेकिन कुछ समय बाद में कंपनी ने लोन की किश्तें देना बंद कर दिया। इसी बीच कंपनी से जुड़े कुछ लोग करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए। कंपनी भी बंद कर दी गई। अब बैंक वाले महिलाओं से कर्ज की वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं, जिससे परेशान होकर वह लगातार चक्काजाम कर प्रदर्शन कर रही हैं। पुलिस और स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर आरोप पीड़ित महिलाओं ने पुलिस और स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस और स्थानीय जनप्रतिनिधियों कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया था, लेकिन कंपनी में ठगी की। वे बैंक की कर्जदार बन गई हैं, तो कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आ रहा है। कर्ज माफी की मांग पर अड़ी महिलाएं करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामले में कंपनी के मुख्य आरोपी जेल में बंद हैं। महिलाएं लोन माफी की मांग पर अड़ी हुई हैं। स्पष्ट कर चुकी हैं कि जब तक उनका लोन माफ नहीं होता, उनका आंदोलन करती रहेंगी। अब जानिए आरोपियों ने कैसे की ठगी ? आरोपी अखिलेश सिंह और उसके अन्य साथी फ्लोरा मैक्स सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी चला रहे थे, जिसकी मुख्य शाखा कोरबा और दूसरी शाखा चांपा में खोली गई थी। कंपनी ने फर्जी स्कीम बताकर आम लोगों और महिला समूह के सदस्यों से 30-30 हजार रुपए जमा करवाए। बदले में हर सदस्य को हर महीने 2700 रुपए देने का वादा किया। इसके अलावा कंपनी साड़ी, बर्तन, जूते, ज्वेलरी जैसे 35 हजार रुपए का सामान बेचने के लिए देती थी। सामान बेचने के बाद वे फिर से कंपनी में 35 हजार रुपए जमा करवाते थे। इसके बदले में सदस्यों को 35 रुपए कमीशन मिलता था। कंपनी ने महिलाओं के नाम पर बैंक से लोन लिया था, लेकिन जब अनियमितताएं सामने आईं तो पुलिस प्रशासन ने कंपनी को सील कर दिया।

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