पढ़ना-लिखना अभियान के अंतर्गत पूरे छत्तीसगढ में 15 आयु वर्ग से  अधिक उम्र के करीबन ढाई लाख और निरक्षरों को साक्षर किए जाने का लक्ष्य है। इस योजना में पढ़ना-लिखना और गणितीय कौशल में वृद्धि कर साक्षरता कौशल अर्जित करने के लिए 120 घंटे की पढ़ाई करायी जा रही है। पढ़ाने वाले स्वयंसेवी शिक्षक स्कूल कॉलेज के बच्चे एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड, नेहरू युवा केन्द्र के स्वयं सेवक, सेवानिवृत्त व्यक्ति शिक्षक, शिक्षिकाओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के व्यक्तियों का पढ़ाई के इस कार्य में सहयोग लिया जा रहा है। साक्षरता केंद्र किसी भी स्कूल, कॉलेज के भवन पंचायत एवं सार्वजनिक भवन में लगाए जा सकते हैं। यह केंद्र किसी के घर में भी लग सकता है, इसके लिए कोई बंधन नहीं है। इसके लिए कोई समय भी निश्चित नहीं है अर्थात शिक्षार्थियों की सुविधा अनुसार यह 2 घंटे कभी भी लगाया जा सकता है। पठन-पाठन सामग्री की व्यवस्था जिला साक्षरता मिशन द्वारा की जाती है।
छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा विभाग की इस महत्वाकांक्षी योजना में उन लोगों को शामिल किया जाता है, जो साक्षर नहीं हैं, जो कभी स्कूल नहीं गए हैं, जिन्होंने पढ़ाई-लिखाई नहीं की है, सरकार ऐसे लोगों को शिक्षित करने का प्रयास कर रही है। ‘‘प्रारंभिक शिक्षा सभी को’’ इस विचार से इस योजना को शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 15 साल और इससे अधिक आयु के करीबन ढाई लाख निरक्षर वयस्कों को साक्षर बनाना है। इस अभियान में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य वंचित समूहों को शामिल किया गया है।
जिला परियोजना अधिकारी साक्षरता मिशन से मिली जानकारी अनुसार महासमुंद जिले में 1045 स्वयंसेवी शिक्षक करीबन 9988 निरीक्षरों को साक्षर करने में जुटे है। इसमें जिले के बागबाहरा विकासखंड में 179 स्वयंसेवी शिक्षक 1787 शिक्षार्थियों, बसना में 246 स्वयंसेवी शिक्षक 2404 लोगों को साक्षर करने में लगे है। इसी प्रकार महासमुंद ब्लॉक के 202 स्वयंसेवी शिक्षक भी ऐसे 2254 शिक्षार्थियों को पढा रहे है। पिथौरा के 219 स्वयंसेवी शिक्षक 2000 शिक्षार्थियों और सरायपाली के 199 स्वयंसेवी शिक्षक 1643 निरीक्षरों को साक्षर के लिए पढ़ा रहे है। इसके अलावा इनके द्वारा अब तक 11000 से ज्यादा पढ़ाई के फोटो विभागीय पोर्टल में अपलोड कर चुके है।
कार्यक्रम के समन्वय के लिए स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा पूरे प्रदेश में असाक्षरों व स्वयंसेवी शिक्षकों को चिन्हित अर्थात सर्वे का कार्य भी किया गया है। स्वयंसेवी शिक्षकों को पढ़ाने के लिए विशेष तकनीकी अपनाई जाती है, उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्रत्येक जिले में दो-दो रिसोर्स पर्सन वह प्रत्येक ब्लॉक में आनुपातिक रूप से कुशल प्रशिक्षकों का चयन हुआ। उनका ऑनलाइन प्रशिक्षण भी किया जा चुका है।
कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने पिछले महीने जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण (कार्यकारिणी समिति) की बैठक ली थी। जिला शिक्षा अधिकारी को दिए तथा स्वयं सेवी शिक्षकों को 120 घंटा में बुनियादी प्रवेशिका आखर झांपी पाठ्यक्रम को पूर्ण करने हेतु समय सारणी देने कहा था। जिससे समय-सीमा में पढ़ाई का कार्य पूर्ण हो सकें। विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों से जिले में पूर्व में संचालित साक्षरता कार्यक्रम के नवसाक्षरों के द्वारा असाक्षरों को प्रोत्साहित करने हेतु अनुरोध किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *