4 जुलाई को विश्वास मत जीतने के बाद शिंदे गुट ने उद्धव कैंप के 14 विधायकों को नोटिस जारी किए थे। गोगावले की तरफ से जारी व्हिप का उल्लंघन करने के चलते विधायकों के खिलाफ एक्शन लिया गया था।
महाराष्ट्र में सियासी उठा पटक से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जता दी है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कैंप की तरफ से दायर याचिकाओं पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा समेत तीन जजों की बेंच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। खास बात है कि मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के करीब 40 विधायकों की बगावत के बाद राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी।
ठाकरे और शिंदे, दोनों ही कैंप विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय का रुख कर चुके हैं। सीजेआई के अलावा जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली दोनों खेमों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इनमें एक याचिका शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु (उद्धव कैंप) की तरफ से भी दाखिल की गई है। इसमें उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के महाविकास अघाड़ी सरकार को बहुमत साबित करने के लिए बुलाने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
बीते सोमवार को शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को अयोग्यता के संबंध में कोई फैसला नहीं लेने के निर्देश दिए गए थे। 3 जुलाई को भाजपा के राहुल नार्वेकर स्पीकर के तौर पर चुने गए थे। उनके पक्ष में 164 वोट डाले गए थे। जबकि, उद्धव कैंप के शिवसेना उम्मीदवार राजन साल्वी के खाते में 107 वोट डाले गए थे। फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले नार्वेकर ने भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप बनाया था। सुनील प्रभु को हटाकर गोगावले को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
खास बात है कि 4 जुलाई को विश्वास मत जीतने के बाद शिंदे गुट ने उद्धव कैंप के 14 विधायकों को नोटिस जारी किए थे। गोगावले की तरफ से जारी व्हिप का उल्लंघन करने के चलते विधायकों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। खास बात है कि दोनो गुट एक-दूसरे पर पार्टी व्हिप नहीं मानने के आरोप लगा रहे हैं। इसके चलते दोनों पक्षों की ओर से अयोग्य ठहराए जाने की मांग की गई है।