किसी भी चुनौती की बात करने से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की उपलब्धि के पैमाने को स्वीकार करना ही उचित है.
ये पहली बार है जब सत्ता में बैठा फ्रांस का कोई राष्ट्रपति दोबारा चुना गया है.
हां, इससे पहले भी राष्ट्रपतियों ने एलिसी पैलेस (फ़्रांस का राष्ट्रपति भवन) पर अपनी जीत को दोहराया है. लेकिन 1988 में फ्रांकोइस मिटर्रैंड और 2002 में जैक्स शिराक ने जब ऐसा किया था तो वोट की अवधि के वक़्त वे प्रभावी रूप से विपक्ष में थे.
दोनों ही मामलों में, वास्तविक सरकार मध्यावधि संसदीय चुनावों के कारण राष्ट्रपति के विरोधियों के हाथों में थी.
हालांकि अपने कार्यालय में भी मिटर्रैंड और शिराक दोनों ही नेता राजनीतिक रूप से निष्क्रिय थे. लेकिन जब दोनों ही नेताओं की सत्ता में वापसी हुई तब जाकर उनकी राजनीतिक निष्क्रियता सक्रियता में तब्दील हुई.
जहां तक 1965 में शार्ल डी गॉल की जीत का सवाल है, तो उन्हें लोगों ने सीधे कभी नहीं चुना. शार्ल डी गॉल ने फ्रांस के ‘फ़िफ्थ रिपब्लिक’ को स्थापित किया था. ये ऐसी गणराज्य प्रणाली है जिस पर वर्तामान समय में फ्रांस की सरकार काम करती है.
ऐसे में इमैनुएल मैक्रों आधुनिक समय में पहले राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने विदेश और घरेलू नीति के हर पहलू को अपने पूरे कार्यकाल तक चलाने के बाद, एक बार फिर लोगों का विश्वास जीता है.
क्यों मैक्रों की जीत अहम है?
फ़्रांस के इतिहास के लिहाज़ से ये बड़ी जीत है.
नतीजे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पेरिस के अभिमानी अमीर, लाखों मध्यमवर्गीय फ्रेंच इस बात में यक़ीन करते हैं कि इमैनुएल मैक्रों बुरे राष्ट्रपति नहीं रहे.
ये लोग इस बात की सराहना करते हैं कि बेरोज़गारी अब एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है और ऐसा मैक्रों के सुधारों के कारण हुआ.
उन्हें लगता है कि मैक्रों कोविड से निपटने में सक्षम थे, और वे इस बात से सहमत हैं कि सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाना ऐसा क़दम था जिसे टाला नहीं जा सकता.
मैक्रों को फ्रांस के लोग एक ऐसे नेता के रूप में मानते हैं जो वैश्विक मंचों पर खुद को पेश करना जानते हैं. लोग इस बात पर ख़ुश हैं कि एलिसी में एक ऐसा नेता है जो पुतिन से सीधी बात करता है भले ही वो बातचीत बेनतीजा रही हो लेकिन वो करने का दम रखते हैं.
लोग मानते हैं कि मैक्रों के नेतृत्व में फ्रांस यूरोप का एक लीडर देश बन सकता है. खासकर ऐसे वक़्त में जब यूरोपीय संघ के लिए अधिक से अधिक सैन्य और आर्थिक स्वायत्तता का उनका नज़रिया पहले से कई ज़्यादा प्रासंगिक नज़र आ रहा है.
कई लोग इमैनुएल को पसंद नहीं करते, क्योंकि वे उन्हें अलग मानते हैं, लेकिन ये लोग मैक्रों का सम्मान करते हैं.