छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ 14 दिन की न्यायिक रिमांड की मांग की है, लेकिन कस्टोडियल रिमांड की मांग नहीं की है। ED के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि लखमा को न्यायिक रिमांड पर भेजा जाए, ताकि जांच की प्रक्रिया में सहयोग किया जा सके। कोर्ट में ED के वकील ने लखमा पर आरोप लगाए कि उनका नाम इस शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है और जांच में उनका सहयोग आवश्यक है। लेकिन पूछताछ में वो बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कवासी लखमा को रायपुर जेल भेजा जा सकता है, जहां वे अपनी न्यायिक रिमांड की अवधि पूरी करेंगे। कवासी लखमा को भेजा जा सकता है रायपुर जेल अगले कुछ समय में कोर्ट का आदेश आ सकता है, जिसके बाद यह स्पष्ट होगा कि कवासी लखमा को जेल में भेजा जाएगा या फिर किसी अन्य निर्णय पर विचार किया जाएगा। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में रिमांड पर चल रहे पूर्व मंत्री कवासी लखमा को आज रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी।वही शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। वही ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। कमिशन के पैसे से बेटे का घर बना, कांग्रेस भवन निर्माण भी ED के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि, 3 साल शराब घोटाला चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे। ईडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई भरी गई। FL-10 लाइसेंस क्या है ? FL-10 का फुल फॉर्म है, फॉरेन लिकर-10। इस लाइसेंस को छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी की लिए राज्य सरकार ने ही जारी किया था। जिन कंपनियों को ये लाइसेंस मिला है, वे मैन्युफैक्चर्स यानी निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे। इन्हें थर्ड पार्टी भी कह सकते हैं। खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत मिलता है। हालांकि इन कंपनियों ने भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम नहीं किया। इसे बेवरेज कॉर्पोरेशन को ही दिया गया था। इस लाइसेंस में भी A और B कैटेगरी के लाइसेंस धारक होते थे। घोटाले की रकम 2100 करोड़ से ज्यादा लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर निदेशालय की ओर से कहा गया कि जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई। ………………………………………………………………. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… छत्तीसगढ़ शराब घोटाला…सिंडिकेट में विवेक ढांड का भी नाम:ED ने लिखा-रिटायर्ड IAS के संरक्षण में हो रहा था काम; हो सकती है गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में अब नया और बड़ा नाम सामने आया है। ED के दस्तावेज के मुताबिक, घोटाले के सिंडिकेट में शामिल लोग रिटायर्ड IAS अधिकारी विवेक ढांड के संरक्षण में काम कर रहे थे।पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद कई खुलासे सामने आ रहे हैं। ED ने कोर्ट में अपने दस्तावेज पेश किए जिसमें बताया गया है कि इस शराब सिंडिकेट में बड़े अधिकारियों की भी भूमिका रही है।पढ़ें पूरी खबर

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