यूपी की जेलों में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 546 कैदियों की जल्द रिहाई हो जाएगी। खास बात यह है कि इन सभी कैदियों की उम्र अभी 60 वर्ष से कम है।

यूपी की जेलों में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 546 कैदियों की जल्द रिहाई हो जाएगी। खास बात यह है कि इन सभी कैदियों की उम्र अभी 60 वर्ष से कम है। इन्हें समय पूर्व रिहाई की प्रदेश सरकार की नीति में बदलाव का लाभ मिलने जा रहा है।
आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कैदी की समय पूर्व रिहाई के लिए पहले 60 वर्ष की आयु सीमा निर्धारित थी। अब राज्य सरकार ने नीतियों में संशोधन कर दिया है।

यह विचार किया गया कि यदि किसी व्यक्ति को 25 वर्ष की आयु में आजीवन कारावास की सजा सुनी दी गई तो 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले वह 35 वर्ष तक जेल में रहेगा। कैदियों को सुधार का मौका देने के उद्देश्य से आयु सीमा को हटा दिया गया है। इससे उनमें उम्मीद की किरण दौड़ी है। जेल में अच्छा आचरण करने पर वे रिहाई के पात्र हो जाएंगे। आजीवन कारावास की सजा के तहत जेलों में 16 से 20 साल की कैद पूरी होने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी की रिहाई हो सकेगी। हालांकि समय पूर्व रिहाई किसी कैदी का अधिकार नहीं है।

शर्तों के अधीन पात्रता पाए जाने पर ही सरकार उनकी रिहाई पर विचार करेगी।
नीतियों में बदलाव के बाद प्रदेश की सभी 74 जेलों में ऐसे कैदियों को चिह्नित किया गया तो उनकी संख्या 546 पाई गई। साथ ही ऐसे भी 37 कैदी चिह्नित किए गए, जिनकी उम्र 60 वर्ष से ऊपर है। आगामी 27 जून को अपर मुख्य सचिव जेल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इन सभी 583 कैदियों रिहाई के संबंध में अंतिम फैसला लिया जाएगा। पहले इन कैदियों को गत 21 जून को योग दिवस के मौके पर ही रिहा किए जाने की तैयारी थी, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते फैसला नहीं हो पाया।

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