बिलासपुर के सिम्स मेडिकल कॉलेज में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री मशीन खरीदी में घोटाले की फाइल फिर खुल गई है। यहां अफसरों ने जिस मशीन को 54 लाख 81 हजार रुपए में खरीदी की है। उसी मशीन को रायगढ़ के मेडिकल कॉलेज में 18 लाख 94 हजार रुपए में खरीदी गई। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के बाद भी न तो इसकी जांच कराई गई और न ही दोषियों पर कार्रवाई की गई। मशीन खरीदी के लिए CGMSC से NOC भी नहीं ली गई। अब सिम्स के डीन ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा आयुक्त को पत्र लिखा है। हाथ से कपड़ा धो रहे कर्मचारी दरअसल, सिम्स में पिछले कई साल से पुरानी लॉन्ड्री मशीन खराब हो गई थी। इसके चलते कर्मचारियों को हाथ से कपड़ा धोना पड़ रहा था। SECL ने CSR मद से सिम्स को नई मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री मशीन खरीदी के लिए चार साल पहले फंड जारी किया था। इसके बाद सिम्स के तत्कालीन संयुक्त संचालक और अधीक्षक ने टेंडर निकाला। इस टेंडर को चार गुना अधिक रेट में खोला गया। रायगढ़ मेडिकल कॉलेज ने इसी तरह की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री मशीन एक तिहाई दाम में खरीदी गई। RTI से मिली जानकारी, 35 लाख के अधिक का अंतर सूचना का अधिकार कानून (RTI) से जानकारी निकालने पर यह गड़बड़ी सामने आई है। इसमें एक ही लॉन्ड्री मशीन को दो अलग-अलग जगहों में 35 लाख 87 हजार 31 रुपए के अंतर की राशि में खरीद गई है। खास बात यह है कि इस खरीदी के लिए CGMSC से NOC भी नहीं ली गई है। जबकि, शासन के नियमानुसार किसी भी उपकरणों के क्रय करने से पहले राज्य शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के तहत चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, आयुष के लिए उपकरण, दवाइयां और सामाग्रियों की खरीदी करने के लिए CGMSC की स्थापना की गई। सभी विभागों में उपकरण मशीनों दवाइयों और अन्य बाहरी एजेंसियों से खरीदी किए जाने से पहले CGMSC से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेना अनिवार्य किया है। नोटशीट में की गलत टिप्पणी लॉन्ड्री मशीन खरीदी करने के लिए तात्कालीन संयुक्त संचालक और अधीक्षक ने 1 जुलाई 2021 को नोटशीट क्रमांक 158 के तृतीय पृष्ठ में लांड्री मशीन क्रय करने के लिए बनाए गए नोटशीट में यह टीप दिया कि उक्त उपकरण CGMSC की सप्लाई नहीं करता है। सिर्फ मेडिकल उपकरण ही देता है। जबकि, इसके पहले इसी मशीन के संदर्भ में तात्कालीन संयुक्त संचालक और अधीक्षक ने 30 मई 2019 को नोटशीट क्रमांक 24 के पृष्ठ क्रमांक 4 में स्वयं के टीप में कहा था कि पूर्व में CGMSC ने 2018-19 में रायपुर के लिए टेंडर किया है। इससे ये स्पष्ट होता है कि CGMSC की ओर से इस मशीन की खरीदी की जाती है। घोटाला करने के लिए नोटशीट में गलत टीप लिखी गई। सिर्फ 15 हजार के उपकरण खरीदी का अधिकार मशीन के खरीदी करने के लिए नियमों का भी पालन नहीं किया गया है। शासन के वित्तीय अधिकार पुस्तिका भाग 2 के सरल क्रमांक 1 के तहत कार्यालय प्रमुख को सिर्फ15 हजार रुपए तक के उपकरण खरीदी करने का अधिकार है। लॉन्ड्री मशीन की खरीदी करने के लिए नवीन मद में प्रस्ताव भेजा जाना था। शासन की स्वीकृति भी अनिवार्य थी, लेकिन तात्कालीन संयुक्त संचालक और अधीक्षक ने ऐसा नहीं किया। अधिष्ठाता, संचालक और शासन से स्वीकृति नहीं ली। स्वास्थ्य मंत्री ने दिए थे जांच के आदेश साल 2021 में जब लॉन्ड्री मशीन में गड़बड़ी सामने आई, तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने तत्कालीन डीन डॉ. केके सहारे को इस पूरे मामले की जांच कराने कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि उसी मशीन को रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में कम कीमत पर कैसे खरीदी गई है। उन्होंने जांच कर रिपोर्ट देने कहा था। लेकिन, तत्कालीन डीन ने इस मामले को दबा दिया। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने उठाया मुद्दा, जांच की मांग CIMS में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री मशीन खरीदी में घोटाले की जांच के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने शिकायत स्वास्थ्य सचिव और डायरेक्टर स्वास्थ्य सेवाएं से की है। संघ के कार्यकारी प्रातांध्यक्ष रविंद्र तिवारी ने मैकेनाइज्ड लांड्री मशीन खरीदी के इस पूरे मामले की जांच कर फर्म विशेष को लाभ पहुंचाने और गड़बड़ी करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। डीन बोले- जांच कमेटी बनाने लिखा है पत्र CIMS के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति का कहना है कि, मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री मशीन खरीदी की खरीदी पूर्व में की गई थी। खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत मिली है, जिस पर स्वास्थ्य शिक्षा आयुक्त को जांच के लिए कमेटी बनाने के लिए पत्र लिखा गया है। आयुक्त के आदेश पर नियमानुसार जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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