राजस्व मंडल के फर्जी आदेश से सरगुजा जिले के लुंड्रा तहसील में शासकीय पट्टे में आदिवासी की जमीन का गैर आदिवासी को बेचने के मामले में सरगुजा कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कलेक्टर ने उक्त भूमि को पूर्ववत् शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जमीन गैर आदिवासी को 25 लाख रुपये में बेची गई थी। सरगुजा में राजस्व मंडल के फर्जी आदेश के 12 मामलों में पहले एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक, भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने सरगुजा कलेक्टर कार्यालय में शिकायत की थी कि अंबिकापुर तहसील के ग्राम पंचायत सुमेरपुर अंतर्गत दर्रीडीह में मुख्यमार्ग पर स्थित खसरा क्रमांक 48/2 भूमि रकबा 55 डिसमिल आदिवासी के नाम पर दर्ज भूमि थी। उक्त भूमि को राजस्व मंडल के फर्जी आदेश से दस्तगीर नामक व्यक्ति द्वारा सामान्य वर्ग के सलीम जावेद व बिजेंद्र गुप्ता को 25 लाख रुपये में बेच दी गई है। जांच में शिकायत मिली सही
कलेक्टर कलेक्टर विलास भोस्कर के आदेश पर नायब तहसीलदार रघुनाथपुर एवं एसडीएम धौरपुर ने इसकी जांच की। जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि दर्रीडीह स्थित उक्त भूमि सर्वे सेटलमेंट में गैर मरजुआ सरकार परती भूमि अर्थात शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी। उक्त भूमि पट्टे में मिली है। इसकी बिक्री के पूर्व राजस्व संहिता के नियमानुसार सरगुजा कलेक्टर से अनुमति नहीं ली गई है। उक्त बिक्री नियमविरूद्ध है। प्रतिवेदन में बताया गया कि सलीम जावेद के द्वारा राजस्व मंडल के फर्जी आदेश से उक्त आदिवासी भूमि को अपने नाम दर्ज किया गया है। शासकीय भूमि में दर्ज होगी भूमि, FIR भी
सरगुजा कलेक्टर ने उक्त भूमि का अंतरण शून्य करते हुए भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही राजस्व मंडल के फर्जी आदेश से जमीन अंतरण कराने वाले सलीम जावेद के खिलाफ सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है।
पूर्व में दर्ज हुए हैं 12 मामले
सरगुजा में राजस्व मंडल के फर्जी आदेश से बेशकीमती शासकीय भूमि को निजी लोगों के नाम नामांतरण, आदिवासी वर्ग की भूमि को गैर आदिवासी के नाम दर्ज करने सहित अन्य मामले सामने आए हैं। पूर्व में जिले में 12 प्रकरणों में अपराध दर्ज किया गया है। इनमें से एक प्रकरण में हुई एफआईआर के मामले में हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई है।
