इलाहाबाद हाइकोर्ट से जमानत रद्द होने के फैसले को आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इस मामले में निचली अदालय मे आरोप तय हो जाने दिया जाए, उसके बाद जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी.

नई दिल्ली: 

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में फिलहाल आशीष मिश्रा को जमानत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से पूछा है कि मामले का ट्रायल कब तक पूरा होगा. ट्रायल कोर्ट बिना दूसरे केसों को छोड़े एक समय रेखा बताए. 11 जनवरी को अगली सुनवाई होगी. आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि आशीष मिश्रा की आरोपमुक्त करने की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी है, उन पर आरोप तय कर दिए गए हैं. वो घटना के समय कार में नहीं था. फिर भी एक साल से ज्यादा जेल में है. पहले हाईकोर्ट ने जमानत दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर फिर से मामले को हाईकोर्ट भेज दिया था.

बता दें कि इलाहाबाद हाइकोर्ट से जमानत रद्द होने के फैसले को आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इस मामले में निचली अदालय मे आरोप तय हो जाने दिया जाए, उसके बाद जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. 6 दिसंबर को लखीमपुर की एडीजे  कोर्ट ने आशीष समेत सभी 14 अभियुक्तों पर आरोप तय कर दिए हैं. UP के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था.

इस घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी. जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि उन्होंने हिरासत में कितना समय बिताया है? जिसके जवाब में रोहतगी ने कहा कि उन्होंने एक साल से अधिक बिताया है, इस हादसे की तारीख 4/10 है और समय दोपहर 2 बजकर 53 मिनट है. इस मामले में FIR  दर्ज कराने वाला जगजीत सिंह चश्मदीद गवाह नहीं है.

रोहतगी ने कहा कि आशीष मिश्रा 4 किमी दूर एक दंगल में थे, जिसके वीडियो सबूत उपलब्ध हैं. उस वक्त वाहन में लोग थे, उन पर पत्थर फेंके गए तो जीप चालक ने रफ्तार तेज करने का प्रयास किया. आशीष मिश्रा के पास लाइसेंस वाली गन है
जिसका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. गन की जांच भी की गई है. कार में सवार लोगों की कहानी यह है कि कार पर पत्थर फेंके गए, चालक को खींचकर मौके मारा गया और उसकी मौत हो गई. अगर आप पत्थर फेंकेंगे तो कोई तेज गति से भागने की कोशिश करेगा, वह तेज रफ्तार दुर्घटना का कारण बनी.

कार में सवार चालक को कार से बाहर खींच कर मार डाला गया. साथ ही कार में सवार एक अन्य सुमित जायसवाल नामक व्यक्ति को भी बाहर निकाला गया. चार्जशीट के साथ जमा किए गए वीडियो और फोटो हैं जो दिखाते हैं कि कार में कौन था और कौन दौड़ रहा था? मैं उस दौरान दंगल स्थल पर था. दोपहर 3 बजे आशीष मिश्रा के दंगल में एक के बाद एक कई फोटो हैं. वही कार में सवार लोगों का कहना है कि कार पर पत्थर फेंके गए और अगर आप पत्थर फेंकेंगे तो बचने के लिए गाड़ी भागने की कोशिश करेगा. जिसकी वजह से तेज रफ्तार उस दुर्घटना का कारण बनी.

जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा घटना स्थल और अखाड़ा के बीच की कितनी दूरी है?- रोहतगी ने कहा उनके बीच 4 किलोमीटर की दूरी है. यूपी सरकार ने कहा कि लखीमपुर खीरी एक जघन्य अपराध है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर सवाल उठाया. आरोपी को कब तक जेल में रखा जा सकता है. जिस तरह पीड़ितों के अधिकार होते हैं वैसे आरोपी के भी कुछ अधिकार हैं. ऐसे में दोनों के अधिकारों के बीच कैसे संतुलन बनाया जा सकता है. यूपी सरकार की तरफ से आशीष की जमानत का विरोध किया गया.

पीड़ितों की ओर से दुष्यंत दवे ने जमानत का विरोध किया. उन्होंने कहा- ये मामला जमानत का नहीं है, ये केस आरोपी के अधिकार का नहीं है. पांच लोगों को कोल्ड ब्लड मार डाला गया. ये लोग असाधारण रूप से शक्तिशाली हैं. ये.पावरफुल लोग हैं, इनके पिता ने खुलेआम धमकी दी थी, 5 लोगों की हत्या हुई और एक दिन पहले ही एक गवाह पर हमला हुआ.
कोर्ट – ये ट्रायल का मामला है.

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