कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा ‘किसानो का प्रशिक्षण के द्वारा दक्षता निर्माण’ योजनान्तर्गत विकासखंड कोंडागांव के ग्राम पंचायत छोटे बंजोड़ा में पशुचिकित्सालय कोण्डागाँव के संयुक्त तत्वाधान में तीन दिवसीय डेयरी प्रशिक्षण किया गया। जहाँ रूर्बन मिशन अंतर्गत सामुदायिक डेयरी इकाई स्थापित की जायेगी। जिसमें मनरेगा की सहायता से शेड बनाकर पशुचिकित्सा विभाग द्वारा 15 इकाई दुधारू गायों का वितरण किया जाएगा। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ शिशिरकांत पांडे ने बताया की समेकित खेती से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे सुधार किया जा सकता है। कृषि के साथ डेयरी, मुर्गीपालन कर निरंतर आय में वृद्धि की जा सकती है। गाय के दूध से आर्थिक लाभ के साथ कुपोषण को दूर किया जा सकता है।

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ ओम प्रकाश ने डेयरी व्यवसाय को सफल व्यवसाय बताया। जिसके साथ साथ चारा उत्पादन, वर्मी खाद उत्पादन, गौ मूत्र, जैविक उर्वरक एवं जैव कीटनाशक आसानी से बनाकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।  21-23 दिसंबर तक तीन दिन के इस प्रशिक्षण में 43 किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक डॉ हितेश मिश्रा ने गाय व भैंस की शारीरिक संरचना, देशी एवम् विदेशी नस्ल की जानकारी, दुधारू गाय की पहचान, नवजात बछड़े, हीफर, गाभिन गाय के प्रबंधन संबंधी जानकारी दी तथा पशुओं को नियंत्रित करने के तरीके बताये।

जिला पशु चिकित्सालय प्रभारी डॉ नीता मिश्रा ने पशु पालन संबंधी आधारभूत जानकारी देते हुए पशु आवास में मौसम अनुरूप रखरखाव, वर्ष भर पौष्टिक चारे हेतु साइलेज निर्माण, पैरा का यूरिया उपचार एवं अजोला का पशु आहार में महत्वपूर्ण उपयोगिता तथा पशुपालन संबंधी विभिन्न योजनाओं की महत्तपूर्ण जानकारी पशुपालकों को दी। पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ डॉ ढालेश्वरी ने बीमार पशुओं की पहचान, पशुओं में कृमिनाशक दवा का महत्व, गंभीर बीमारियों के लक्षण व निदान, टीकाकरण का महत्व, गाय के गर्मी में आने के लक्षण एवम् कृत्रिम गर्भाधान के फायदे किसानो को समझाया। इस अवसर पर पशु चिकित्सक दीपिका सिदार, सरपंच जेठूराम पोयाम, पशु विभाग सेे बडेकनेरा के हृदु ठाकुर व मयाराम सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

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