अधोसंरचनाओ के उत्तरोत्तर विकास और राज्य के आवश्यकता अनुरूप जनकल्याणकारी योजनाओं के बीच संवेदनशील से क्रियान्वित किया जाने वाला निर्णय एक लोक कल्याणकारी स्वरूप की स्थापना का प्रमुख कारक होता है। राज्य शासन द्वारा असमय काल कवलित होेने वाले शासकीय कर्मचारियों के शोकाकुल परिवारो के आश्रितो को मृत शासकीय सेवक के स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति देने के निर्णय ने शासन के मानवीय दृष्टिकोण की भावना को निश्चय ही सार्थक किया है।
गौरतलब किया है कि शासन द्वारा तृतीय श्रेणी के पदो पर अनुकम्पा नियुक्ति देने हेतु 10 प्रतिशत सीमाबंधन प्रावधानो को शिथिल किया गया है इस निर्णय से ना केवल महामारी में असामयिक दिवगंत होने वाले शासकीय कर्मियों के परिवारो को तत्काल राहत पंहुचाया है बल्कि वर्षो से लंबित अनुकम्पा प्रकरणो के त्वरित निराकरण मे मदद मिली है। कुल मिलाकर भरण-पोषण की दुःशचिन्तता झेल रहे संतप्त परिवार के लिए यह राहत भरा फैसला काफी हद तक उनके दुखो की भरपाई कर सका है।
गृहिणी से नौकरी पेशा बनी महिला कौशल्या
जिले के फरसगांव निवासी श्रीमती कौशिल्या नाग भी उन्ही महिलाओ से है जिन्हे अनुकम्पा नियुक्ति के तहत् शासकीय नौकरी में अवसर दिया गया है। बी.ए. स्नातक प्राप्त कौशल्या बताती है कि शासकीय हाई स्कूल फरसगांव में सहायक शिक्षक वर्ग 2 मे पदस्थ उनके पति श्री प्रभुलाल नाग की इसी वर्ष 12 जनवरी 2021 को एक सड़क दुर्घटना मे मृत्यु हो गई थी। जाहिर है पति का अचानक मृत्यु होना कौशल्या नाग के लिए एक बड़ा आघात था क्योंकि अब स्वयं के साथ-साथ उनके दो बच्चे जिनमें से एक चन्द्रप्रकाश नाग 10वीं और दूसरा खिलेश्वर नाग 8वीं मे अध्ययनरत है उनसबकी जिम्मेदारी उनपर आन पड़ी थी। इस कठोर मानसिक विपदा के बीच शासन के अनुकम्पा नियुक्ति देने के नये प्रावधानो में उन्हे इन मुश्किल क्षणों से उबारा और बीईओ के माध्यम से उन्होने अनुकम्पा नियुक्ति संबंधित आवेदन जिला शिक्षा विभाग कार्यालय में प्रस्तुत किया और त्वरित कार्यवाही के चलते उन्हे तत्काल सहायक ग्रेड 03 के पद पर पीपरा बहीगांव में पद स्थापना मिली। अपने जीवन को फिर से संवारने के लिए शासन के इस संवेदनशील निर्णय के प्रति आभार जताते हुए उनका कहना है कि पति के न रहने से उनकी कमी तो सदैव खलेगी ही परंतु अनुकम्पा नियुक्ति की बदौलत उनके जीविकोपार्जन एवं बच्चो का भविष्य सुरक्षित हुआ है। वे मानती है कि एक गृहिणी से नौकरी पेशा महिला बनना एक चुनौती तो है और शासन द्वारा दिये गये इस अवसर पर वह इसमें भी पूरी तरह खरा उतरने का प्रयास करेंगी।
यह कहना जरूरी होगा कि शासन की इस पहल ने श्रीमती कौशल्या नाग जैसी अनेक महिलाओं एवं युवाओं को अपने घर के मुखिया के असमय देहावसान के बाद भी नये सिरे से जीवन की शुरूवात करने की आस जगाई है। सामाजिक सरोकार से जुड़े इस पहल को इसलिए भी सराहा जाना चाहिए क्योंकि अनुकम्पा नियुक्ति के प्रावधान एवं नियम इससे पहले के वर्षो में इतने सरल कभी नही थे और तो और अनेक वर्षो से लंबित प्रकरणो के निराकरण की बाट जोहते परिवारों के लिए यह निर्णय एक सुखद संदेश लाया है। कोई आश्चर्य नही कि शासन की इस संवेदनशील निर्णय की सर्वत्र सराहना की जा रही है। ज्ञात हो कि शासन के निर्णय के पश्चात अब तक जिले में शिक्षा विभाग द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के 34 प्रकरणो का निराकरण कर आश्रितो को शासकीय नियुक्तियां दी गई है।