दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। इनमें ज़्यादातर युवा और बच्चे शामिल रहते हैं। इसमें से 77 फीसदी मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों से सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है, ज्यादातर लोग जहर पीकर , फांसी लगाकर और खुद को गोली मारकर सुसाइड करते हैं। साथ ही नशीली पदार्थ का सेवन कर आत्महत्या कर लेते है। आत्महत्या को रोकने के लिए हर साल वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे मान्य जाता है।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे
दुनियाभर में आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए 10 सितंबर 2003 को इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मिलकर पहल की। इस दिन को मनाने का पहला साल सफल रहा, इसलिए 2004 में, WHO ने आधिकारिक तौर पर इसमें शामिल होने की बात कही। इस तरह 10 सितम्बर को हर साल यह दिन मनाया। आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए IASP 60 से अधिक देशों में सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित करता है।
कैसे रोक सकते है आत्महत्या
आत्महत्या के मामलों को कुछ हद तक रोका जा सकता है। आत्महत्या करने से पहले कुछ लोगों में खास तरह के लक्षणों को समझकर उसे रोक सकते हैं। जैसे- वो घंटों किसी समस्या के बारे में सोचते रहते हैं, आत्महत्या करने की बात करते हैं या आत्महत्या करने के तरीके खोजते हैं। ये खुद को दूसरों पर बोझ समझने लगते हैं या दर्द/बीमारी से पीछा छुड़ाने के छुड़ाने के लिए आत्महत्या करने की बात करते हैं। इसके अलावा जल्द से जल्द वसीयत तैयार कराना, गुडबॉय मैसेज लिखना, हमेशा डिप्रेशन में रहने लगना, फोन न उठाना, खुद को सबसे अलग करना चेतावनी देने वाले लक्षण हैं।
अगर आपके इर्द-गिर्द किसी में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो उसे अनदेखा न करें। उनसे बात करें। उनकी बात को समझने की कोशिश करें। उनकी समस्या को सुनने के बाद कोई समाधान ढूंढें। इससे उन लोगों का ध्यान बंटता है और आत्महत्या का खतरा घटता है। WHO कहता है, आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए कीटनाशक, बंदूक और कुछ खास दवाओं को सबकी पहुंच से रोकने की जरूरत है। शुरुआती लक्षणों से इसे जल्द से पता लगाने के साथ लोगों के बिहेवियर को समझकर भी ऐसे मामले रोके जा सकते हैं।