पत्थरचट्टा या पथरचटा (Patharchatta) एक औषधीय पौधा है, जो कई रोगों का इलाज करने में सक्षम है। यह मूत्र विकारों और किडनी से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में काफी मददगार है। पत्थरचट्टा एक सदाबहार पौधा है जो भारत के अधिकांश हिस्सों में पाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, पत्थरचट्टा का प्रयोग पथरी के उपचार के अलावा बॉडी को डिटॉक्स करने में किया जाता है। इसमें रेचक गुण पाए जाते हैं, जिससे कब्ज और बवासीर की समस्या में राहत मिलती है। पत्थरचट्टा के फायदे क्या हैं, आइए विस्तार से जानते हैं।
पत्थरचट्टा के फायदे और औषधीय गुण –
पथरी के इलाज में फायदेमंद है पत्थरचट्टा
पत्थरचट्टा के सेवन से किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी से छुटकारा दिलाया जा सकता है। औषधि के तौर पर इसका प्रयोग करने के लिए 40 से 50 मिलीलीटर पत्थरचट्टा का काढ़ा तैयार कर लीजिए, उसमें 500 मिलीग्राम शिलाजीत और 2 ग्राम शहद ठीक से मिला लीजिए। इस मिश्रण का थोड़ा-थोड़ा सेवन कर सकते हैं। इसे दिन में 2 बार पी सकते हैं। इसका सेवन करने से पहले एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
मूत्र विकारों को दूर करता है पत्थरचट्टा
अगर आप पेशाब में जलन यूटीआई या अन्य किसी मूत्र विकारों से ग्रसित हैं तो पत्थरचट्टा आपको राहत दिलाएगा। 5 मिलीलीटर पत्थरचट्टा की पत्तियों का रस का काढ़ा बना लीजिए और ठंडा होने के बाद उसमें 2 ग्राम शहद अच्छी तरह से मिला लीजिए। इस कार्य को दिन में दो बार पी सकते हैं इससे खासकर पुरुषों के मूत्र विकारों को दूर करने में मदद मिलती है।
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है पत्थरचट्टा
हाई ब्लड प्रेशर के मरीज है तो पत्थरचट्टा आपके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इसके लिए सबसे पहले पत्थरचट्टा की पत्तियों का अर्क तैयार करें और दिन में दो से तीन बार पत्थरचट्टा के अर्क की 5 से 10 मोनू का सेवन करें।
वजाइनल इन्फेक्शन में लाभकारी है पत्थरचट्टा
वजाइनल इन्फेक्शन में पत्थरचट्टा बहुत ज्यादा लाभकारी होता है इस समस्या से निजात पाने के लिए पत्थरचट्टा के पत्तों से काढ़ा बना लीजिए। 40 से 50 मिलीग्राम काढे में 2 ग्राम शहद मिलाएं। इस जादुई जादुई काढे का सेवन महिलाएं दिन में दो बार कर सकती हैं।
पत्थरचट्टा से ल्यूकेमिया का उपचार
ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर का इलाज करने के लिए आप पता चला था उपयोग कर सकते हैं, इसके लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का अर्थ तैयार करें और 5 से 10 गुण हल्क का से 1 दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं, यह ल्यूकेमिया से बचाव में काफी मददगार है।
पत्थरचट्टा के उपयोग से जुड़ी जानकारी आपको जागरूक करने के उद्देश्य से बताई गई है। अगर आप उपरोक्त बीमारियों से ग्रसित हैं और पत्थरचट्टा का उपयोग करना चाहते हैं तो एक बार आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।