चाय का नाम सुनते ही जैसे फुर्ती सी आ जाती है। सुबह उठते ही सबसे पहले जिस चीज की जरुरत सबसे ज्यादा होती है वह चाय ही है। यह दैनिक जीवन के तनाव को भुला देती है और तरोताजा कर देती है।दुनिया भर में टी ब्रेक का चलन है। मेहमान का स्वागत करना हो , कोई मीटिंग आदि हो या किसी से दोस्ती करनी हो तो चाय सबसे आसान जरिया होती है।तो आइए जानते है भारत ने कैसे हुई चाय की शुरुआत।

 

इतिहास

सबसे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज़ यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे। भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग़ लगाए गए।कहते हैं कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग के रखे हुए गर्म पानी के प्याले में, हवा के ज़रिये उड़कर कुछ सूखी पत्तियाँ आकर उसमे गिर गयी, जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया। बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र। ये बात ईसा से 2737 साल पहले की है। साल 350 में चाय पीने की परंपरा का पहला उल्लेख मिलता है।साल 1610 में डच व्यापारी चीन से चाय यूरोप ले गए और धीरे-धीरे ये समूची दुनिया का प्रिय पेय पदार्थ बन गया।यह बहुविदित है, भारत में सर्वप्रथम चाय का बहुतायत प्रचलन ब्रिटिश शासनकाल में इन्हीं ब्रिटिशों द्वारा ही हुआ था।

 

चाय बनाने का भारतीय तरीका

सामग्री

२ प्याला पानी।

२ चम्मच चाय पत्ती।

२ चम्मच चीनी।

ऐच्छिक सामग्री: २ इलायचियों का चूरा और एक छोटा बारीक कटा हुआ अदरक का टुकड़ा।

 

विधि

पानी को चाय पत्ती और चीनी के संग बर्तन मे उबाले।

दूसरी आँच पर दूध उबाले।

चाय मे एक बार उबाल आने पर इलायची का चूरा और अदरक डाले।2 मिनिट से अधिक समय तक ना उबालें नहीं तो चाय कड़वी हो जाएगी।

चाय को आँच से उतारे और उसमे दूध मिलाये।

आपकी चाय तैयार हैं।

 

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