नई दिल्‍ली: दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों के अलावा सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे जनतंत्र की जीत बताया है.

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा. दिल्‍ली में कानून व्यवस्था, पब्लिक आर्डर, जमीन से जुड़े मुद्दे और पुलिस पर केंद्र का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अगर अधिकारियों को मंत्रियों को रिपोर्ट करने से रोका जाता है तो सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर असर पड़ता है.
  2. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है. उन्‍होंने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के फैसले से सहमति नहीं जतायी कि दिल्ली के पास सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे.
  3. कोर्ट ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का ‘अद्वितीय’ चरित्र है और उसके पास सेवाओं पर विधायी तथा कार्यकारी शक्तियां हैं.  दिल्ली देश में अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह केंद्र शासित प्रदेश नहीं है.
  4. लोकतंत्र, संघीय ढांचा संविधान की मूलभूत संरचना का हिस्सा हैं. केंद्र द्वारा सभी विधायी शक्तियों को अपने हाथ में लेने से संघीय प्रणाली समाप्त हो जाती है. केंद्र सभी विधायी, नियुक्ति शक्तियों को अपने हाथ में नहीं ले सकता. अगर चुनी हुई सरकार अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकती तो वो लोगों के लिए सामूहिक दायित्व का निर्वाह कैसे करेगी? अगर चुनी हुई सरकार के पास ये अधिकार नही रहता तो फिर जवाबदेही की ट्रिपल चेन पूरी नही होती.
  5. संसद के पास तीसरी अनुसूची में किसी भी विषय पर कानून बनाने की पूर्ण शक्ति है. यदि केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच विरोध होता है, तो केंद्रीय कानून प्रबल होगा.
  6. कोर्ट ने कहा कि हम दोहराना चाहते हैं कि दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता पर काम करेंगे. इसमें सर्विसेज भी शामिल हैं यानि अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग.
  7. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे जनतंत्र की जीत बताया है. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों के साथ न्याय करने के लिए उच्चतम न्यायालय का हार्दिक धन्यवाद. विकास की गति अब कई गुना बढ़ जाएगी.
  8. दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होंगी, ये काफी समय से उठ रहा है. मामला कोर्ट में गया तो इस पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को एक फैसला दिया. लेकिन, उसमें दोनों जजों का मत अलग था.

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