छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED ने बड़ा खुलासा किया है। ED ने अपना बयान जारी कर रहा है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी। लेकिन उन्होनें ने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया । लखमा ने शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई। गौरतलब है पिछली सरकार में हुए लीकर स्कैम मामले में विधायक कवासी लखमा 21 जनवरी तक ED की रिमांड पर है। जहां प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे है। सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे कवासी प्रवर्तन निदेशालय ने अपने प्रेस नोट में बताया है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे । लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम काम करता था। शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। जिसके बदल में कवासी लखमा को शराब घोटाले से होने वाली कमाई से हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलता था। ईडी ने जांच में पाया कि कवासी लखमा घोटाले से मिलने वाली आय से कई अचल संपत्तियों के निर्माण में लगाया। कमिशन रुपए बेटे के घर निर्माण और कांग्रेस भवन के निर्माण में लगे शराब घोटाला केस में ED की हिरासत पर चल रहे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर ED का आरोप है कि शराब घोटाला मामले में हर महीने कवासी लखमा 2 करोड़ रुपए मिलते थे। ED के वकील सौरभ पांडेय ने कहा कि, 3 साल शराब घोटाला चला इस दौरा 36 महीने में विधायक लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले और ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे। FL-10 लाइसेंस क्या है? FL-10 का फुल फॉर्म है, फॉरेन लिकर-10। इस लाइसेंस को छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी की लिए राज्य सरकार ने ही जारी किया था। जिन कंपनियों को ये लाइसेंस मिला है, वे मेनूफैक्चर्स यानी निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे। इन्हें थर्ड पार्टी भी कह सकते हैं। खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत मिलता है। हालांकि इन कंपनियों ने भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम नहीं किया इसे बेवरेज कॉर्पोरेशन को ही दिया गया था। इस लाइसेंस में भी A और B कैटेगरी के लाइसेंस धारक होते थे। घोटाले की रकम 2161 करोड़ निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है । 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई। —————————————- छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… छत्तीसगढ़ शराब घोटाला…सिंडिकेट में विवेक ढांड का भी नाम:ED ने लिखा-रिटायर्ड IAS के संरक्षण में हो रहा था काम; हो सकती है गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में अब नया और बड़ा नाम सामने आया है। ED के दस्तावेज के मुताबिक, घोटाले के सिंडिकेट में शामिल लोग रिटायर्ड IAS अधिकारी विवेक ढांड के संरक्षण में काम कर रहे थे।पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद कई खुलासे सामने आ रहे हैं। ED ने कोर्ट में अपने दस्तावेज पेश किए जिसमें बताया गया है कि इस शराब सिंडिकेट में बड़े अधिकारियों की भी भूमिका रही है।पढ़ें पूरी खबर