छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी ED दफ्तर पहुंचे है । ED के अधिकारी उनसे पूछताछ करेंगे। आफिस के अंदर जाने से पहले मीडिया ने हरीश कवासी से बातचीत की इस दौरान हरीश ने कहा कि ED अपना काम कर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक कवासी लखमा औऱ उनके बेटे से आज भी ED के अधिकारी लंबी पूछताछ करेंगे। इससे पहले 3 जनवरी को दोनों से ED ने 8 घंटे पूछताछ की थी। ED को अहम सबूत मिले सूत्रों के मुताबिक, कवासी लखमा ने कांग्रेस सरकार के समय चलाए गए शराब के सिस्टम को लेकर ED को जानकारी दी है। लखमा पर अफसरों ने एक्शन का दबाव भी बातचीत में बनाया। लखमा इस पूछताछ में कई बार खुद के अनपढ़ होने, दस्तावेज में क्या लिखा था, समझ नहीं आने की बात ED के अफसरों को कन्फ्यूज भी कर रहे थे। हालांकि ED ने आधिकारिक तौर पर इस पूछताछ को लेकर कुछ नहीं कहा है। लखमा के घर पर छापे के बाद निदेशालय ने पूर्व मंत्री के कमीशन लेने की बात कही थी। अब इस केस में जल्द ही ED कुछ नई गिरफ्तारियां करने की तैयारी में है। क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। ED द्वारा दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डूप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी। जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुक़सान हुआ है। ED ने शराब घोटाले में दो पूर्व मंत्री पर भी कराई थी FIR छत्तीसगढ़ में शराब और कोयला घोटाले मामले में ED ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 100 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कराई थी। इनमें कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा, खाद्य मंत्री रहे अमरजीत भगत, पूर्व विधायक यूडी मिंज, गुलाब कमरो, शिशुपाल का नाम शामिल हैं। पहले भी ईडी ने राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन लिखा था, जिसके बाद ACB-EOW ने 37 से ज्यादा लोगों पर नामजद FIR की थी। इसमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा का भी नाम है। उन पर आरोप है कि उन्हें हर माह 50 लाख रुपए कमीशन दिया जाता था। चर्चा है कि अधिकांश दस्तावेज में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का हस्ताक्षर है। इस आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया है। इसमें उनके तत्कालीन ओएसडी का नाम है, जिनके यहां भी छापे की चर्चा है। वो अभी बस्तर प्राधिकरण में ओएसडी के पद पर पदस्थ है। जांच के दायरे में कई ठेकेदारों को भी रखा है। ED ने ट्रिपल A को घोटाले का मास्टर माइंड बताया था वहीं 2161 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में ED ने ट्रिपल A यानी IAS अफसर, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को घोटाले का मास्टर माइंड बताया था, जिसके बाद ACB इस मामले में अलग से कार्रवाई कर रही है। FIR में शामिल तथ्यों के आधार पर आपको बताते हैं कि किस तरह नया सिंडिकेट तैयार कर इस घोटाले को अंजाम दिया गया। शराब घोटाला मामले में FIR में दर्ज नाम