छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित बलौदाबाजार आगजनी हिंसा मामले में जेल में बंद 21 आरोपियों को रायपुर, दुर्ग और जगदलपुर की अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर कर दिया गया। जेल के अंदर कैदियों के बीच आपसी झगड़े और गुटबाजी को देखते हुए जेल प्रशासन ने यह कदम उठाया। सोमवार रात यह कार्रवाई गुपचुप तरीके से की गई। बलौदाबाजार हिंसा मामले में 187आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। इसमें से कई आरोपियों को पहले ही दूसरी जेलों में भेज दिया गया था। अब एक बार फिर जेल प्रशासन ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मद्देनजर एक कठोर निर्णय लिया है। जेल में बंद आरोपियों के बीच मारपीट की घटनाएं सूत्रों के अनुसार बलौदाबाजार जेल में बंद इन आरोपियों के बीच आपसी मारपीट की घटनाएं बढ़ने लगी थीं। कैदियों के बीच गुटबाजी के कारण जेल में तनावपूर्ण माहौल बन गया था, जिससे किसी बड़ी अप्रिय घटना का खतरा मंडरा रहा था। जेल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सोमवार रात रायपुर,दुर्ग और जगदलपुर की जेलों में इन आरोपियों को ट्रांसफर कर दिया। यह पूरी प्रक्रिया गोपनीय तरीके से संपन्न की गई ताकि किसी को इसकी जानकारी न हो। सूत्रों का कहना है कि जेल में बंद आरोपियों के बीच पिछले कुछ दिनों से झगड़े बढ़ने लगे थे, जिससे जेल के अन्य कैदी भी प्रभावित हो रहे थे। जेल प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाया। उप जेल बलौदाबाजार के उप जेलर अभिषेक मिश्रा ने बताया कि नियमित प्रकिया के तहत शिफ्ट किया गया है। इससे पहले भी 5 लोगों को शिफ्ट किया गया था। हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की घटना सतनामी समाज के प्रवर्तक गुरु बाबा गुरु घासीदास की तपोभूमि गिरौदपुरी के नजदीक ग्राम महकोनी के अमरगुफा में 15-16 मई की रात सतनामी समाज के धार्मिक प्रतीक चिन्ह जैतखाम को तोड़ने की घटना सामने आई थी। इस घटना के बाद सीबीआई जांच की मांग को लेकर बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में 10 जून को आंदोलन हुआ। इसमें शामिल हजारों लोग उग्र हुए और उपद्रवी तत्वों ने बलौदाबाजार शहर,तहसील और जिला मुख्यालय के संयुक्त जिला कार्यालय में तोड़फोड़ कर आगजनी की घटना को अंजाम दिया था। इसके बाद पुलिस कार्रवाई करते हुए आरोपियों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार की है। जेल में गुटबाजी को खत्म करने उठाया कदम बलौदाबाजार हिंसा की गंभीरता और उसमें शामिल लोगों के पूर्व रिकॉर्ड को देखते जेल प्रशासन ने सुरक्षा के उपायों को और सख्त कर दिया है। हिंसा मामले के आरोपियों को अलग-अलग जेलों में इसी लिए शिफ्ट किया जा रहा है ताकि किसी भी प्रकार की अन्य दूसरी घटनाएं न हो। साथ ही उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम जेल के भीतर शांति बनाए रखने और गुटबाजी को खत्म करने के लिए उठाया गया।

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