झारखंड में आठवीं से 12वीं तक की परीक्षा दो टर्म में होने जा रही है। यह छात्रों के हित में है या फिर कुछ और। दावा तो किया जा रहा है कि दो टर्म में परीक्षा देने से परीक्षार्थियों का बोझ कम होगा।

झारखंड में आठवीं से 12वीं तक की परीक्षा दो टर्म में होने जा रही है। यह छात्रों के हित में है या फिर कुछ और। दावा तो किया जा रहा है कि दो टर्म में परीक्षा देने से परीक्षार्थियों का बोझ कम होगा और एक बार में आधे सिलेबस का आसानी से वे परीक्षा दे सकेंगे, लेकिन दो टर्म में परीक्षा होने से सरकार की खर्च भी दोगुना होगा। इससे कमीशन का खेल भी बढ़ेगा। आठवीं से 12वीं में करीब 18 लाख छात्र-छात्रा पढ़ते हैं। दो टर्म की परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिकाएं दोगुनी करनी होगी, मूल्यांकन में शिक्षकों को दो बार लगाना होगा, परीक्षा केंद्र बनाने होंगे, सुरक्षा के इंतजाम दो बार करने होंगे, इससे खर्च बढ़ेगा। जो खर्च एक परीक्षा में होता, वह खर्च दो परीक्षाओं में होगा।

बता दें कि, झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने सीबीएसई की तर्ज पर दो टर्म की परीक्षा लेने का मॉडल अपनाया था। 2021 में इसका निर्णय हुआ, तारीख की तय की गई, लेकिन परीक्षा नहीं हो सकी। दोनों टर्म की परीक्षा 2022 में एक साथ ली गई। मैट्रिक-इंटरमीडिएट के साथ-साथ आठवीं, नौवीं व 11वीं में इसे लागू किया गया। 2022 के सत्र से स्थिति सामान्य होने के बाद सीबीएसई समेत देश के अन्य बोर्ड जिसने दो टर्म में परीक्षा लेने का मॉडल तय किया था, उसे वापस ले लिया। अब इनकी बोर्ड की परीक्षाएं 2023 में एक साथ होंगी। 2021-22 में दो टर्म में परीक्षाएं सीबीएसई ने एहतियातन लेने का निर्णय़ लिया था, क्योंकि 2020 में कोरोना की वजह से परीक्षाएं नहीं हो सकी थी। पिछले परिणामों के आधार पर छात्र-छात्रा प्रमोट हुए थे। दो टर्म की परीक्षा उद्देश्य था कि अगर एक ही टर्म की परीक्षा होती है और दूसरे टर्म की परीक्षा कोरोना या फिर किसी कारण से नहीं हो पाती है तो एक टर्म के आधार पर परिणाम जारी किया जा सकेगा।

– आधा सिलेबस पढ़ दो बार परीक्षा देनी होगी
– परीक्षार्थियों में परीक्षा का दबाव कम होगा
– पहले टर्म में ज्यादातर प्रश्न ऑब्जेक्टिव होंगे
– दूसरे में ऑब्जेक्टिक व सब्जेक्टिव सवाल होंगे
– 18 अक्तूबर को राजभवन के समक्ष देंगे धरना

जैक के खर्च की नहीं होती ऑडिट झारखंड एकेडमिक काउंसिल के खर्च की ऑडिट नहीं होती है। जैक को जो राशि मिलती है या आवेदन पत्रों के जरिए जो राशि आती है, उसके खर्च का हिसाब-किताब नहीं लिया जाता है। ऐसे में दो टर्म में होने वाली परीक्षा उत्तरपुस्तिका-प्रश्नपत्र की छपाई में होने वाले खर्च के बारे में कोई जानकारी भी नहीं लेता है। सूत्रों की मानें तो जैक में उत्तरपुस्तिकाएं पड़ी हुई हैं और नई के लिए छपाई की प्रक्रिया चल रही है।

पढ़ाई होगी प्रभावित पहले टर्म की परीक्षा के बाद उसकी उत्तर पुस्तिका जांचने में शिक्षकों को लगाया जाएगा। जिन स्कूलों को मूल्यांकन केंद्र बनाया जाएगा और जहां के शिक्षक इस कार्य में लगेंगे वहां की पढ़ाई प्रभावित होगी। इससे दूसरे टर्म के सिलेबस पूरा कराना शिक्षकों की चुनौती होगी। शिक्षकों को मूल्यांकन के लिए दो बार प्रति उत्तरपुस्तिका के साथ-साथ यात्रा और ठहराव भत्ता देना होगा।

वित्तरहित शिक्षा संघर्ष मोर्चा ने आठवीं से 12वीं तक की दो टर्म में होने वाली परीक्षा का विरोध किया है। मोर्चा ने राज्य सरकार से हर कक्षा की एक वार्षिक परीक्षा लेने की अपील की है। वहीं, वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के अधिग्रहण करने या घाटानुदान देने की भी मांग की है। इसको लेकर शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मी 18 अक्तूबर को राजभवन के समक्ष महाधरना देंगे। रांची के सर्वोदय बाल निकेतन उच्च विद्यालय में मंगलवार को मोर्चा की राज्यस्तरीय बैठक में उक्त निर्णय लिया गया। बैठक में वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के प्राचार्य व प्रधानाध्यापकों ने आंदोलन की रूपरेखा तय की।

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा- कोरोना में ही दो टर्म में परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया था। अन्य बोर्ड अगर एक टर्म में परीक्षा ले रहे हैं तो दिखवा लेते हैं। अधिकारियों संग बातचीत कर जल्द फैसला लेंगे।

परीक्षार्थियों को परीक्षा का दबाव आधा हो जाएगा, लेकिन सरकार का खर्च दोगुना हो जाएगा। अगर आगे इस मॉडल में बदलाव हुआ तो अगली क्लास में छात्र दबाव में आ जाएंगे।
– सुशील कुमार राय, पूर्व सचिव, जैक

– परीक्षार्थी कर रहे पहले टर्म की तैयारी
– कई क्लास में नामांकन जारी, तैयारी है अधुरी
– सीबीएसई मॉडल वापस होने की संभावना
– ऐसे मे अगली क्लास में छात्रों पर बढ़ेगा दबाव
– सीखने की जगह सिलेबस करेंगे पूरा

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