भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष अधिवेशन में मतदान में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि प्रस्ताव की भाषा भारत की नीति के हिसाब से मेल नहीं खा रही थी

नई दिल्ली : 

Israel-Palestine Conflict: इजरायल-फिलस्तीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के विशेष अधिवेशन में भारत (India) का रुख उसकी अब तक की नीतियों के अनुरूप ही है. सूत्रों का कहना है कि भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि प्रस्ताव की भाषा भारत की नीति के हिसाब से मेल नहीं खा रही थी. इसमें सात अक्टूबर के आतंकी हमले की निंदा भी नहीं की गई थी.

विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत की स्थिति साफ की गई है. इसमें बताया गया है कि सात अक्टूबर के हमले की निंदा भी की गई है और नागरिकों की जान जाने पर चिंता भी जताई गई है.

मुख्य प्रस्ताव पर वोट से पहले उसमें निंदा जोड़ने का प्रस्ताव लाया गया जिसके पक्ष में भारत ने वोट किया हालांकि संशोधन प्रस्ताव को दो तिहाई वोट नहीं मिला और वह पास नहीं हो सका.

वोटिंग से पहले भारत की तरफ से जो बयान दिया गया उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि सात अक्टूबर के आतंकवादी हमले की निंदा होनी चाहिए. बंधकों के लिए भारत चिंतित है और वह बंधकों की तुरंत रिहाई की मांग करता है.

गाजा में आम लोगों की जानें जाना चिंता का विषय : भारत

इसके साथ ही भारत के बयान में गाजा में जारी मानवीय त्रासदी का भी जिक्र है. कहा गया है कि ‘गाजा में जिस तरह से लोगों की जान जा रही है वह चिंता का विषय है. आम लोगों, खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि तनाव को घटाए और गाजा के जरूरतमंदों तक पर्याप्त राहत पहुंचाए. मानवीय त्रासदी की हालत खत्म करे.‘

इस बयान में इस पर भी जोर डाला गया है कि ‘पूरे क्षेत्र में बढ़ रहा तनाव भी चिंताजनक है. सभी पक्षों को संयम दिखाने की जरूरत है.‘

सूत्रों का कहना है कि जहां तक फिलस्तीन मुद्दे का सवाल है तो भारत ने हमेशा दो राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया है. भारत का रुख है कि ‘भारत इजराइल फिलिस्तीन मुद्दे में बातचीत के जरिए दो राष्ट्र समाधान का हिमायती रहा है. वह एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलस्तीन चाहता है जिसकी इजरायल के साथ मान्यता प्राप्त सीमा हो और दोनों शांति के साथ रहें.‘

 

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