केंद्र सरकार ने सीमावर्ती निवासियों को पाकिस्तानी गोलाबारी से बचाने के लिए दिसंबर 2017 में जम्मू, कठुआ और सांबा के पांच जिलों में 14,460 व्यक्तिगत और सामुदायिक बंकरों के निर्माण के लिए मंजूरी दी थी.

अरनिया: 

जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से सटे गांवों के निवासियों ने शरण लेने के लिए वर्षों पहले बनाए गए भूमिगत बंकरों की सफाई शुरू कर दी है. पाकिस्तान रेंजरों का यहां आईबी पर अग्रिम चौकियों और गांवों को निशाना बनाकर संघर्षविराम का उल्लंघन करने के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया गया. भूमिगत बंकरों को रहने योग्य बनाने के लिए बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है. वहीं स्थानीय लोग सीमा पार गोलाबारी से बचने के लिए ऐसे और बंकरों की मांग कर रहे हैं.

अरनिया में त्रेवा गांव की सरपंच बलबीर कौर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर सकते हैं और बंकरों को रहने लायक बनाने के लिए सफाई अभियान चलाया गया है.”

कौर ने निवासियों से बंकरों को अपने घरों की तरह रखने की अपील करते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2018 के बाद, हमारे गांवों पर मोर्टार से हमला किया गया, लेकिन हम अधिकांश बंकरों का इस्तेमाल नहीं कर सके, क्योंकि हमने उनकी सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया.”

पाकिस्तान के साथ भारत 3,323 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसमें से जम्मू-कश्मीर में 221 किलोमीटर आईबी और 744 किलोमीटर नियंत्रण रेखा (एलओसी) शामिल है.

भारत और पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सीमाओं पर नये सिरे से संघर्षविराम लागू करने की 25 फरवरी, 2021 को घोषणा की थी, जो आईबी और एलओसी पर रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत थी.

दोनों देशों ने शुरुआत में 2003 में संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन पाकिस्तान अक्सर समझौते का उल्लंघन करता है. पाकिस्तान ने वर्ष 2020 में संघर्षविराम का 5,000 से अधिक बार उल्लंघन किया था, जिसकी संख्या एक वर्ष में सबसे अधिक है.

केंद्र सरकार ने सीमावर्ती निवासियों को पाकिस्तानी गोलाबारी से बचाने के लिए दिसंबर 2017 में जम्मू, कठुआ और सांबा के पांच जिलों में 14,460 व्यक्तिगत और सामुदायिक बंकरों के निर्माण के लिए मंजूरी दी थी. ये बंकर आईबी एवं एलओसी पर पुंछ और राजौरी गांवों के लोगों को सुरक्षा देते हैं. सरकार ने इसके बाद संवेदनशील लोगों के लिए 4,000 से अधिक अतिरिक्त बंकरों को मंजूरी दी थी.

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