कलेक्टर डॉ.फरिहा आलम सिद्दकी के निर्देशन में आज शासन की बहुआयामी गोधन न्याय योजना के तहत बरमकेला के हिर्री गांव में गौमूत्र क्रय एवं उससे निमास्त्र निर्माण किया गया। निमास्त्र के निर्माण के लिए 5 किलो नीम के पत्तों को पानी में घोलना है, इसके पश्चात् 5 ग्राम गौमूत्र और 2 किलो गाय का गोबर डालें, थोड़े-थोड़े समय पर हिलाने के साथ 24 घंटे के लिए किण्वन करने के पश्चात छानकर निचोड़े और 100 लीटर तक पतला करें। एक एकड़ में पत्तो पर छिड़काव के लिए निमास्त्र का प्रयोग करें। यह चूसने वाले कीड़ों और घुन कीड़ों के लिए बेहद उपयोगी होता है। निमास्त्र जैसे वनस्पति निर्मित कीटनाशक का उपयोग आज के समय की महती जरूरत है। आज जहां बढ़ती महंगाई की वजह से खेती-किसानी में फसल की लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस कारण से किसान परेशान होकर खेती से दूर भागता जा रहा है। इसका उपाय यही है कि किसान जैविक तरीकों की ओर लौटने का प्रयास करें। वे किसान जो जैविक खेती करते हैं या कम बजट में प्राकृतिक खेती करते हैं, ये किसान घर पर ही देशी तरीकों से खाद और कीटनाशक दवाइयां तैयार कर लेते हैं जिसमें नाम मात्र की लागत आती है। इन तरीकों को अपनाकर किसान न सिर्फ शुद्ध अनाज का उत्पादन कर सकते हैं बल्कि अपनी खेती की लागत भी कम कर सकते हैं।