महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट अभी कुछ और दिन तक जारी रह सकता है। जानकारों का कहना ​​है कि अगर सैनिकों को हिंसा फैलाने से नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह केंद्र के लिए एक मौका हो सकता है।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच मुंबई पुलिस हाई अलर्ट पर है। दरअसल, इस बात का डर है कि शिव सैनिक पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ एकजुटता दिखाने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस को सतर्क कर दिया गया है।

माना जा रहा है कि महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट अभी कुछ और दिन तक जारी रह सकता है। जानकारों का कहना ​​है कि अगर सैनिकों को हिंसा फैलाने से नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह केंद्र के लिए एक मौका हो सकता है। राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की जा सकती है। ऐसे में मौजूदा सरकार के पास सत्ता बनाए रखने का मौका नहीं होगा।

‘हिंसा का इस्तेमाल राष्ट्रपति शासन के लिए न हो’
महा विकास अघाड़ी सरकार में बिजली मंत्री नितिन राउत का कहना ​​है कि पुलिस को हाई अलर्ट पर रखने की वजह है। उन्होंने कहा, “अगर शिवसेना को कुछ होता है, तो मुंबई जल जाती है। जिस तरह से मुंबई में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है, मेरा मानना ​​है कि यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार बहाने के तौर पर सैनिकों की हिंसा का इस्तेमाल करके राष्ट्रपति शासन न लगा सके।”

‘बगावत को हल्के में नहीं ले सकते सैनिक’
राउत का यह भी मानना ​​है कि ठाकरे के खिलाफ इस तरह की बगावत को कोई भी सैनिक हल्के में नहीं ले सकता और वे किसी भी रूप में अपना गुस्सा जाहिर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “जिस तरह का विद्रोह शिवसेना ने देखा है, कोई भी सैनिक इस विद्रोह को सामान्य रूप से नहीं लेगा और वे इसे पचा भी नहीं सकते। इसे किसी भी रूप में व्यक्त किया जा सकता है। कल हमने एकनाथ शिंदे की मां को यह कहते हुए देखा कि उन्होंने गलत किया है और जिन लोगों ने बगावत की है उनके परिवार के कई सदस्य यही बात कह रहे हैं। सरकार कोई चांस नहीं लेना चाहती, इसलिए पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है।”

‘देवेंद्र फडणवीस के घर दोगुनी हुई सुरक्षा’
शाम के वक्त प्रमुख नेताओं विशेषकर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के घर सुरक्षा दोगुनी कर दी गई। पिछले दो दिनों से गिने-चुने पुलिसकर्मी बैठे-बैठे ही आने-जाने वालों पर नजर रखते थे। हालांकि, शुक्रवार को सीनियर अधिकारी ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई। इससे पहले दिन में, सैनिकों की ओर से शिंदे खेमे के विद्रोही नेताओं के आवास या कार्यालयों पर होर्डिंग व पोस्टरों को तोड़ने की छिटपुट घटनाएं हुईं।

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