इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने यह स्टडी की थी। इसके मुताबिक, डेल्टा वेरिएंट वैक्सीनेटेड और नॉन-वैक्सीनेटेड, दोनों तरह के लोगों को संक्रमित करता है। वैक्सीन ले चुके लोगों में इस वेरिएंट से संक्रमण के बाद मौत का खतरा काफी कम हो जाता है। यह स्टडी 17 अगस्त को जर्नल ऑफ इंस्पेक्शन में छपी है। एक स्टडी के अनुसार, यह वैक्सीनेटेड लोगों को भी संक्रमित करता है
ICMR ने स्टडी में पाया कि डेल्टा या B.1.617.2 वेरिएंट वैक्सीनेटेड और नॉन-वैक्सीनेटेड, दोनों समूहों में पाया गया। दुनियाभर में यही स्ट्रेन सबसे ज्यादा फैला है और भारत में दूसरी लहर के पीछे यही जिम्मेदार था। ICMR ने अपनी रिपोर्ट में अन्य स्टडीज का हवाला भी दिया है जिनमें डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण के बाद कोविशील्ड और कोवैक्सीन लेने वालों में एंटीबॉडीज की ताकत घटने की बात कही गई है। स्टडी के अनुसार, पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन होने की यही वजह हो सकती है।
स्टडी में एक बात फिर से पुष्ट हो गई कि वैक्सीन भले ही संक्रमण से न बचा सके, मगर जिंदगी जरूरत बचा सकती है। गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा फुली वैक्सीनेटेड लोगों में कम मिला। रिपोर्ट के अनुसार, ‘फुली वैक्सीनेटेड ग्रुप में एक भी मौत नहीं हुई जबकि तीन पार्शियली वैक्सीनेटेड और सात अनवैक्सीनेटेड मरीजों की मौत हो गई।’