आखिर ऐसी क्या बात थी जो ठाकुर और गब्बर इतने बड़े दुश्मन बन गए. किस बात का बदला लेने के लिए गब्बर ने काटे हाथ ?

नई दिल्ली: 

हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों का जिक्र होता है तो शोले के बिना पूरा नहीं होता. इस ब्लॉक बस्टर फिल्म ने दर्शकों के दिलों में वो छाप छोड़ी कि दोबारा कोई दूसरी फिल्म शोले के मुकाम तक नहीं पहुंची. आज चाहे कितने हाईटेक विलेन आ जाएं लेकिन गब्बर के आतंक और अंदाज के सामने कोई नहीं टिकता. इस फिल्म का एक एक सीन खास है…और ऐसे कई सवाल हैं जो कई दफा जहन में आते हैं. अब जिन्होंने फिल्म देखी है वो तो खुद को जानकार कह सकते हैं…लेकिन हमारे बीच एक जनरेशन ऐसी भी है जिसने ठाकुर, गब्बर, बसंती, जय और वीरू को केवल मीम्स के जरिए ही जाना है…तो बस उन्हीं के लिए और उन लोगों के लिए हम आज आपको ठाकुर के हाथ गंवाने का किस्सा बताने वाले हैं.

कैसे कटे थे हाथ ?

ठाकुर का नाम लेते ही दिमाग में बस एक ही इमेज आती है. सफेद कुर्ता पायजामा पहने एक आदमी जिसके कंधे पर शॉल लटकी हुई है. फिल्म में दिखाया गया कि गब्बर ने उसके हाथ काटे थे…लेकिन ऐसी नौबत आई क्यों ? दरअसल अपने ठाकुर साहब पुलिस की नौकरी करते थे. इसी दौरान एक बार वो गब्बर के पीछे लग गए थे. गांववालों को उसके आतंक से बचाने के लिए ठाकुर…गब्बर के पीछे दौड़ा. आगे गब्बर…पीछे ठाकुर…घोड़े पर एक शानदार चेजिंग सीन…गब्बर चालाकी करता है लेकिन ठाकुर उसे पकड़ने में कामयाब होता है…घोड़े पर बैठा ठाकुर अपने हाथ से गब्बर की गर्दन को दबोचता है और कहता है…ये हाथ नहीं फांसी का फंदा है गब्बर.

इसके अगले सीन में गब्बर को कोर्ट में दिखाया जाता है. जज गब्बर को 20 साल की सजा सुनाता है और यहां से शुरू होती है दुश्मनी और बदले की आग. अब एक तरफ गब्बर को जेल पहुंचाकर ठाकुर छु्ट्टी पर जाने की तैयारी में था वहीं गब्बर जेल से भागकर सीधे उसके घर पहुंचता है और पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देता है. ठाकुर घर पहुंचता है तो उसके सिर पर खून सवार हो जाता है.

वो गब्बर से बदला लेने के लिए उसके अड्डे पर पहुंचता है…लेकिन गब्बर की टीम बड़ी थी. वो मिलकर गब्बर के हाथ बांध देते हैं…और फिर आता है वो आइकॉनिक सीन. गब्बर हाथ में दो तलवार लिए ठाकुर की तरफ बढ़ता है और कहता है…ये हाथ हमको देदे ठाकुर…ठाकुर चिल्लाता है नहीं..नहीं…और गब्बर बेरहमी से उसके दोनों हाथ काट देता है.

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